शिक्षक ने नाबालिग छात्रा से स्कूल में बार-बार रेप किया, कोर्ट ने सुनाई सजा; जेल में कटेगी बाकी जिंदगी
दिल्ली की एक अदालत ने एक शिक्षक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले कोर्ट ने उसे एक छात्रा के साथ बार-बार रेप करने का दोषी ठहराया था। नाबालिग छात्रा गर्भवती हो गई थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया था।

दिल्ली की एक अदालत ने एक शिक्षक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले कोर्ट ने उसे एक छात्रा के साथ बार-बार रेप करने का दोषी ठहराया था। नाबालिग छात्रा गर्भवती हो गई थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया था।
दिल्ली की एक अदालत ने 2016 में अपनी 15 साल की छात्रा के साथ बार-बार रेप करने और उसे गर्भवती करने के जुर्म में एक शिक्षक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि माता-पिता के समान होने के बावजूद उस व्यक्ति ने अपनी भ्रष्ट संतुष्टि के लिए विश्वास का फायदा उठाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार उस व्यक्ति के खिलाफ सजा सुना रहे थे, जो अपराध के समय 46 साल का था। उस व्यक्ति को भारतीय दंड संहिता के तहत रेप और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।
विशेष सरकारी वकील आशीष काजल ने कठोर सजा की मांग करते हुए तर्क दिया कि दोषी नाबालिग पीड़िता का स्कूल में अभिभावक होने के अलावा एक महान पेशे से जुड़ा हुआ है। अदालत ने 7 मई को पारित आदेश में कहा, "दोषी राजीव ने शिक्षक होने के बावजूद स्कूल में पीड़िता के साथ बार-बार रेप किया। उसके इस घिनौने कृत्य के कारण नाबालिग गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को भी जन्म दिया।
अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उस पर वासना हावी हो गई थी। अदालत ने कहा कि यह तथ्य कि आरोपी पीड़िता के प्रति अभिभावक की भूमिका में था और उसने अपनी भ्रष्ट संतुष्टि के लिए उस भरोसे का फायदा उठाया। सजा सुनाने के लिए यह एक गंभीर कारक है।
फैसले में कहा गया कि पीड़िता को जो आघात पहुंचा, वह केवल शारीरिक नहीं था, बल्कि यह एक गहरा मनोवैज्ञानिक घाव था। इसे ठीक होने में कई साल लग सकते हैं। पीड़िता की कम उम्र और इस घृणित कृत्य के कारण उसे जो लंबे समय तक आघात सहना पड़ा, उसे कम करके नहीं आंका जा सकता। अदालत ने कहा कि दोषी को किसी भी तरह की नरमी नहीं मिलनी चाहिए। यह गंभीर परिस्थितियां सजा कम कम करने वाली परिस्थितियों से कहीं ज्यादा थीं।
न्यायाधीश ने कहा कि अपराध की गंभीरता, पीड़ित की संवेदनशीलता, न्याय के सिद्धांतों को कायम रखने की आवश्यकता और समाज को एक कड़ा संदेश देने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इस अदालत का विचार है कि यह कठोर सजा देने के लिए उपयुक्त मामला है।
आजीवन कारावास का अर्थ है कि दोषी को अपना शेष जीवन जेल में बिताना पड़ता है। यह देखते हुए कि अपराध के कुछ साल बाद पीड़िता की मौत हो गई, न्यायाधीश ने उसकी मां को 16.5 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।