दिल्ली दंगे में मारे गए हासिम अली के केस में 12 बरी, 'कट्टर हिंदू एकता' वाला कबूलनामा भी खारिज
दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 2020 में हुए दंगे से जुड़े केस में 12 लोगों को हत्या और आपराधिक साजिश के आरोपों से बरी कर दिया है।

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 2020 में हुए दंगे से जुड़े केस में 12 लोगों को हत्या और आपराधिक साजिश के आरोपों से बरी कर दिया है। इन पर 26 फरवरी 2020 को गोकलपुरी में मारे गए हासिम अली की हत्या में भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा कि टुकड़ों में मौजूद परिस्थितिजन्य सबूत यह साबित करने के लिए अपर्याप्त हैं कि आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे। अदालत ने 'कट्टर हिंदू एकता' नामक वॉट्सऐप ग्रुप में हुई चैट को नकार दिया।
30 अप्रैल को 52 के दिए आदेश में जज ने कहा, 'मैंने पाया कि परिस्थितिजन्य सबूत के नाम पर टुकड़ों में कुछ साक्ष्य हैं, जो इन्हें दोषी भीड़ का हिस्सा साबित करने के लिए नाकाफी हैं।' कोर्ट ने लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, अंकित चौधरी, प्रिंस, जतिन शर्मा, हिमांशु ठाकुर, विवेक पांचाल, ऋषभ चौधरी, सुमित चौधरी, टिंकु अरोड़ो, संदीप और साहिल को बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा, 'जब तक अपराधी भीड़ के सदस्यों की पहचान नहीं हो जाती है तब तक किसी पर जिम्मेदारी थोपी नहीं जा सकती है। यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि किसी स्थान पर किसी अन्य समय में भीड़ का हिस्सा रहे कुछ व्यक्ति भीड़ का भी हिस्सा रहे होंगे, जो हत्या की घटना में शामिल थी।'
कट्टर हिंदू एकता चैट वाली बात खारिज
कोर्ट ने अभियोजन के उस दलील को भी खारिज कर दिया कि 'कट्टर हिंदू एकता' वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल रहे कुछ आरोपियों ने चैट में अपना गुनाह कबूल किया था। अदालत ने कहा, 'ऐसे पोस्ट या मैसेज ग्रुप में हीरो बनने के लिए भी डाले जा सकते हैं या शेखी बघारना भी हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि पोस्ट को हत्या साबित करने के लिए मजबूत सबूत नहीं हो सकता है। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में हत्या, दंगे और आपराधिक साजिश के केस दर्ज किए गए थे।