निजी स्कूल विभाग को बिना सूचना दिए शुल्क बढ़ा रहे
हरियाणा के निजी विद्यालयों द्वारा फीस बढ़ाने पर अभिभावकों का प्रदर्शन लगातार जारी है। स्कूल संचालक सरकारी नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे मध्यम वर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। शिक्षा...

फरीदाबाद। प्रदेश के निजी विद्यालयों द्वारा मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए नियम हैं, लेकिन स्कूल संचालक इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। अप्रैल में दाखिला प्रक्रिया शुरू होने के साथ अभिभावकों का सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो जाता है। निजी विद्यालयों को नए सत्र में फीस बढ़ाने से पूर्व जिला शिक्षा विभाग को सूचना देनी होती है। इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म-छह भरकर उसकी एक कॉपी जिला शिक्षा अधिकारियों के पास भेजनी होती है, जिससे अधिकारियों के संज्ञान में रहे कि विद्यालयों ने किस मद में कितनी फीस बढ़ाई। इसके अलावा फीस को लेकर विद्यालयों की मॉनिटरिंग हो सकें, मगर स्मार्ट सिटी के निजी विद्यालय प्रबंधन कभी सरकारी आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते।
हर वर्ष नया सत्र शुरू होने पर फीस बढ़ोतरी को लेकर स्कूलों के सामने हंगामा करते हैं और जिला शिक्षा अधिकारियों के चक्कर लगाते रहते हैं। अधिकारियों के पास लगातार शिकायत पहुंचने पर निजी स्कूल प्रबंधन थोड़ी फीस कम कर लेते हैं, लेकिन एसएलसी यानि परिणाम पत्र लेने के दौरान बची फीस को जमा कराने का दबाव बनाते हैं। फीस नहीं भरने तक एसएलसी और परिणाम पत्र रोक कर रखते हैं। हरियाणा सरकार को दिल्ली की तर्ज पर तीन साल में एक बार फीस बढ़ाने का कानून बनाया चाहिए। दिल्ली सरकार का यह नियम स्वागत के योग्य है। इससे निजी विद्यालयों की मनमानी पर रोक लगेगी। बेटी बचाओ अभियान जल्द ही निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर अभियान चलाएगा। शिक्षा आज पूरी तरह व्यापार बन चुकी हैं। इसमें मध्यम वर्गीय परिवार पिस रहा है। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के चक्कर में अपने भविष्य के लिए कुछ नहीं बचा पाता है। -हरीश चंद आजाद, राष्ट्रीय संयोजक, बेटी बचाओ अभियान यदि सरकारी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी आमजन के हित में काम करने लगे तो काफी राहत मिलेगी, लेकिन स्थिति इसके विपरीत हैं। स्कूल संचालकों ने अभिभावकों ने एटीएम मशीन समझा हुआ है। विद्यालयों का काम ज्ञान का प्रचार प्रसार करना है, लेकिन यहां ज्ञान के नाम पर अभिभावकों का शोषण हो रहा है। शिक्षा विभाग ने कभी भी आरटीआई के तहत अभिभावक एकता मंच को फार्म-6 की जानकारी नहीं दी है। अब मंच शिक्षा विभाग को लीगल नोटिस जारी करेगा। -कैलाश शर्मा, प्रदेश महासचिव, अभिभावक एकता मंच निजी विद्यालयों को फार्म-6 ऑनलाइन भरना होता है। इसके चलते जिला मुख्यालय को कोई जानकारी नहीं होती। यदि कोई अभिभावक फीस की समस्या लेकर आता है तो अधिकारी व्यक्तिगत रूप से मामले में रुचि दिखाते हैं और बच्चे का दाखिला कराते हैं। इसके अलावा एक निजी विद्यालय को फीस बढ़ोतरी का विवाद चल रहा है। पिछले दिनों में जिला बाल कल्याण विभाग ने छापेमारी भी की थी। स्कूल की पुस्तकें बेचने वाली बुक शॉप को सील भी किया गया था। -अजीत सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी
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