तुलसी निकेतन में 30 हजार की आबादी गंदगी और टूटी सड़कों से परेशान
गाजियाबाद के तुलसी निकेतन योजना में नालियां ओवर फ्लो हैं, जिससे गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। यहां कूड़े के अंबार हैं और सड़कें क्षतिग्रस्त हैं। 30 साल पहले शुरू हुई इस योजना में लोग मूलभूत सुविधाओं...

गाजियाबाद। तुलसी निकेतन योजना में नालियां व नाले ओवर फ्लो हैं, जिस कारण गंदा पानी सड़कों पर बह रहा है। क्षेत्र में कई जगह कूड़े के अंबार लगे हैं। सड़कें भी क्षतिग्रस्त है। पार्क की हालत बेहद खराब है। इस बदहाली के बीच 30 हजार से अधिक की आबादी यहां रहने को मजबूर है। जीडीए ने करीब 30 साल पूर्व तुलसी निकेतन आवासीय योजना लान्च की थी। इस योजना में चार मंजिला ईडब्ल्यूएस और एलआईजी बनाए गए। दिल्ली से सटी होने के कारण इस योजना में खरीदारों ने फार्म भरकर फ्लैट ले लिया। लेकिन इतने साल बीतने पर भी इस योजना में रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल सकी है। यह योजना अभी तक नगर निगम को हैंडओवर नहीं हो सकी है। यहां कूड़ा उठाने से लेकर साफ सफाई तक की सभी व्यवस्था प्राधिकरण ही करता है। लेकिन क्षेत्री की अनदेखी के कारण यहां के लोग मूलभूत समस्याओं से वंचित है। क्षेत्र में गंदगी का अंबार है। सड़कें क्षतिग्रस्त है। नाले नालियां गंदगी से भरे हुए हैं। उनका गंदा पानी सकड व उसके किनारे जमा हो रहा है, जिससे मच्छर पनपने का खतरा बना रहता है। वहीं, पार्क भी बदहाल है। इनमें बच्चों समेत अन्य के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। साथ ही पार्क की दीवार तक टूटी पड़ी है। क्षेत्र में कूड़ा उठान की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण सड़क किनारे या अन्य स्थानों पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। वहीं, योजना के बराबर में काफी तादात में पानी भरा हुआ है। जिस कारण बने हुए फ्लैट की नींव में पानी लगातार जा रहा है। यहां के लोग काफी समय से मूलभूत सुविधाओं को दिलाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।
गंदगी से परेशान रहते हैं लोग
तुलसी निकेतन में पर्याप्त साफ सफाई की व्यवस्था नहीं होने से वहां गंदगी की समस्या हर वक्त बनी रहती है। दिल्ली जाने वाले मुख्य मार्ग के किनारे भी कूड़े के ढेर व जलभराव रहता है। वहीं मुख्य मार्ग से तुलसी निकेतन जाने वाली रोड पर भी गंदगी की समस्या है। इस कारण यहां लोग काफी परेशान रहते हैं।
यहां जर्जर है भवन
तुलसी निकेतन में कुल मकानों की संख्या 2292 है। इसमें 288 एलआईजी भवन और 2004 ईडब्ल्यूएस है। 15 हजार से अधिक लोग रहते हैं। तुलसी निकेतन में ज्यादातर भवन जर्जर हो चुके हैं। जिस कारण यहां हर वक्त खतरा बना हुआ है। मकानों की हालत काफी खराब होने के कारण दीवारों का प्लाटर गिरने की कई बार घटना हो चुकी है। जीडीए इन मकानों को तोड़कर यहां हाइराइज बिल्डिंग बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन यहां रहने वाले लोग इसपर सहमत नहीं हो रहे हैं।
30 साल पुरानी है योजना
जीडीए वर्ष 1988-90 तुलसी निकेतन योजना लाया था। दिल्ली से सटी होने के कारण यहां लोगों ने तुरंत मकान खरीद लिए, लेकिन प्राधिकरण से मकान खरीदने वाले लोगों ने इन्हें पॉवर ऑफ आटार्नी पर बेचकर चले गए। सूत्रों का कहना है कि कुछ मकान चार से पांच लोगों ने पॉवर ऑफ आटार्नी पर बेचे हैं। ऐसे में मूल कब्जेदार का पता नहीं है।
टेंडर जारी कर होती है व्यवस्था
जीडीए इस योजना में साफ सफाई व पानी निकाली की व्यवस्था करता है। इसके लिए प्राधिकरण टेंडर निकालकर एक साल के लिए व्यवस्था करता है। ताकि इस क्षेत्र की साफ सफाई व पानी निकाली की व्यवस्था ठेकेदार को दी जा सके। जीडीए के अधिकारी बताते हैं कि इस योजना में आंतरिक साफ व्यवस्था पंपों के जरिये जल निकाली आदि कार्य करने के लिए टेंडर निकाला जाता है।
तुलसी निकेतन में साफ सफाई व जल निकासी की व्यवस्था करने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। फिर ठेकेदार द्वारा वहां सफाई व्यवस्था की जाएगी।
-मानवेंद्र सिंह, मुख्य अभियंता, जीडीए
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।