Growing Military Tensions Between Israel and Iran Pose Threats to Global Trade and India s Economy इजरायल-ईरान संघर्ष से वैश्विक आपूर्ति पर खतरा बढ़ा, Gurgaon Hindi News - Hindustan
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इजरायल-ईरान संघर्ष से वैश्विक आपूर्ति पर खतरा बढ़ा

- ऊर्जा कीमतों में तेजी से उद्योगों की लागत बढ़ेगी - आयात-निर्यात संतुलन पर असर पड़ने की आशंका गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। इजरायल और ईरान के बीच ब

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवSun, 15 June 2025 11:32 PM
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इजरायल-ईरान संघर्ष से वैश्विक आपूर्ति पर खतरा बढ़ा

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ता सैन्य टकराव न केवल मध्य-पूर्व क्षेत्र की स्थिरता के लिए, बल्कि वैश्विक व्यापारिक ढांचे और भारत जैसे आयात-आधारित देशों के लिए भी गंभीर खतरा बढ़ कर सकता है। प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के चेयरमैन दीपक मैनी ने कहा है कि गुरुग्राम भारत का एक प्रमुख औद्योगिक और कॉरपोरेट हब है। यहां से बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल्स, टेक्सटाइल, फार्मा और इंजीनियरिंग गुड्स का उत्पादन होता है, जो अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में निर्यात किए जाते हैं। गुरुग्राम की लॉजिस्टिक्स निर्भरता मुंबई, कांडला और गुजरात के अन्य बंदरगाहों पर है, जिनके जरिए माल मिडल ईस्ट, यूरोप और अफ्रीका भेजा जाता है।

इनमें से अधिकांश मालवाहक जहाज स्ट्रेट ऑफ होरमुज से होकर गुजरते हैं। तेल कीमते बढ़ने से महंगे होंगे सामान: दीपक मैनी ने एक बयान में कहा कि स्ट्रेट ऑफ होरमुज, जो वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा वहन करता है, यदि बाधित होता है तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित होगी। भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 80 प्रतिशत आयात करता है। इसमें से बड़ी हिस्सेदारी इसी मार्ग से होकर आती है। अगर यह आपूर्ति शृंखला धीमी या ठप हो जाती है, तो घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी संभव है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा लागत में वृद्धि का सीधा असर निर्माण, परिवहन और सेवा क्षेत्र पर पड़ेगा। जिससे महंगाई और औद्योगिक उत्पादन लागत में भारी बढ़ोतरी होगी। इससे न केवल उपभोक्ता कीमत सूचकांक पर दबाव बनेगा, बल्कि भारत के लघु और मध्यम उद्योगों के सामने टिके रहना एक चुनौती बन जाएगा। केंद्र सरकार कूटनीतिक प्रयास तेज करें: चेयरतमैन ने इस बात पर भी चिंता जताई कि यदि यह संघर्ष लंब चलता है और अमेरिका, चीन, रूस जैसे बड़े देश इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं तो वैश्विक सप्लाई चेन और इन्वेस्टमेंट फ्लो पर स्थाई असर पड़ेगा। भारत के एक्सपोर्ट पर भी दबाव आएगा, खासकर पेट्रो-केमिकल्स, इंजीनियरिंग गुड्स, टेक्सटाइल्स और फार्मा जैसे सेक्टर में। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह अपने कूटनीतिक प्रयास तेज करें, ताकि दोनों पक्षों के बीच तनाव को कम करने की दिशा में वैश्विक स्तर पर पहल की जा सके। यह भी जरूरी है कि भारत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की आपूर्ति पर तुरंत काम शुरू करें, ताकि किसी संभावित आपूर्ति संकट से देश की आर्थिक प्रगति पर प्रभाव न पड़े। मैनी ने यह भी कहा कि वर्तमान हालात में नीति निर्माताओं को ऊर्जा संरक्षण, डोमेस्टिक प्रोडक्शन और रणनीतिक रिजर्व पर फोकस बढ़ाने की आवश्यकता है। ऐसी वैश्विक घटनाओं का भारतीय उद्योग और आम उपभोक्ताओं पर न्यूनतम असर हो।

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