गर्भाशय के कैंसर की जांच के लिए सस्ती स्वदेशी किट बुधवार को लॉन्च होगी
नेशनल अकादमी ऑफ मेडिकल साइंस के स्थापना दिवस पर डॉक्टर नीरज बाटला ने दी जानकारी

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं के बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। एम्स दिल्ली की पूर्व प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग प्रमुख प्रोफेसर नीरजा बाटला ने बताया कि गर्भाशय के कैंसर की जांच के लिए तैयार की गई सस्ती और स्वदेशी किट बुधवार को लॉन्च की जाएगी। उन्होंने यह जानकारी नेशनल अकादमी ऑफ मेडिकल साइंस के 65वें स्थापना दिवस पर आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दी। प्रो. बाटला ने बताया कि भारत में हर चार मिनट में एक महिला स्तन कैंसर से पीड़ित पाई जाती है, जो एक गंभीर और चिंता का विषय है। वहीं, हर आठ मिनट में एक महिला की मौत गर्भाशय के कैंसर के कारण हो रही है। हालांकि, गर्भाशय के कैंसर के मामलों में बीते वर्षों में कुछ हद तक गिरावट दर्ज की गई है।
1986 में प्रति लाख आबादी में 43 महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होता था, जो अब घटकर प्रति लाख में 17 महिलाओं तक आ गया है। यह कमी जागरूकता, समय पर जांच और बेहतर इलाज की उपलब्धता का संकेत देती है, लेकिन प्रो. बाटला ने चेताया कि अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 15 वर्ष की 90 प्रतिशत लड़कियों को एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) से बचाव का टीका लगाया जाए, जिससे भविष्य में गर्भाशय के कैंसर की संभावना को काफी हद तक कम किया जा सके। इसके साथ ही 70 प्रतिशत महिलाओं की गर्भाशय कैंसर की स्क्रीनिंग भी की जाएगी।
सिर्फ 60 मिनट में हो जाएगी जांच
डॉ. नीरजा बाटला के मुताबिक लॉन्च की जा रही गर्भाशय कैंसर की जांच किट पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसकी लागत इतनी कम है कि देश के ग्रामीण और सुदूर इलाकों तक भी इसे पहुंचाना संभव होगा। प्रो. बाटला ने बताया कि यह किट न सिर्फ महिलाओं को शुरुआती चरण में बीमारी के संकेतों की पहचान करने में मदद करेगी, बल्कि इलाज को भी समय पर शुरू किया जा सकेगा। किट से 60 से 90 मिनट में ही गर्भाश्य के कैंसर की जांच हो जाएगी। विदेशों में बनी एचपीवी जांच किट की कीमत 1500 से 2000 रुपये के बीच है। इसकी तुलना में स्वदेशी किट बहुत सस्ती होगी। इस किट से 35 से 45 साल की उम्र की महिलाएं दो बार जांच करा सकेंगी। इस बीमारी का जल्द पता लगने से मरीज के जल्द ठीक होने की उम्मीद होती है।
देश में हर साल 1.2 लाख महिलाओं को होता है यह कैंसर
भारत में हर साल 1.2 लाख महिलाओं को गर्भाशय का कैंसर होता है और लगभग 77000 महिलाओं की इस कैंसर की वजह से मौत हो जाती है। इस कैंसर से सुरक्षा के लिए बाजार में एचपीवी से बचाव का टीका मौजूद है।
9 साल से अधिक उम्र की लड़कियों को टीका लगाया जाता है
गर्भाशय के कैंसर की सबसे बड़ी वजह एचपीवी वायरस है। इससे बचाव के लिए 9 से 15 साल तक की लड़कियों को टीका लगाया जा सकता है। डॉक्टर नीरजा बाटला ने बताया कि 30 साल की उम्र के बाद हर महिला को एक बार गर्भाशय के कैंसर की जांच जरूर करानी चाहिए। इसकी जांच में प्री-कैंसर स्टेज का भी पता चलता है। यानी कैंसर होने के 5-10 साल पहले ही जांच से इसका पता लगाया जा सकता है, इसलिए जांच की बेहतर सुविधा कई जिंदगियां बचा सकती है।
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