‘डॉ. एआई पर भरोसा बढ़ा पर मरीजों के लिए मानवीय सहानुभूति जरूरी
स्वास्थ्य तकनीकों में तेजी से विकास ने डॉक्टर की परंपरागत भूमिका को बदल दिया है। चीन की सियनी एआई कंपनी अब मरीजों का इलाज एआई 'डॉ. हुआ' के माध्यम से कर रही है, जो 30 बीमारियों का इलाज करती है। लेकिन,...

नई दिल्ली, लेस्ली डी'मोंटे। तेजी से विकसित हो रही स्वास्थ्य तकनीकों ने डॉक्टर की परंपरागत परिभाषा बदल दी है। अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) न केवल डॉक्टरों की मदद कर रही है, बल्कि कई जगह मरीजों का सीधे इलाज भी कर रही है। फिर भी, मरीजों की भावनात्मक जरूरतें, सहानुभूति और नैतिक समझ जैसी मानवीय क्षमताएं एआई पूरी तरह नहीं निभा सकता। इसलिए ‘डॉ. एआई के भरोसेमंद होते हुए भी मरीज इंसानी चेहरे की उम्मीद रखते हैं। ‘डॉ. हुआ करता है 30 बीमारियों का इलाज चीन की सियनी एआई कंपनी अस्पतालों में इलाज के लिए एआई का उपयोग करती है। सऊदी अरब में इसका नया क्लिनिक एआई डॉक्टर ‘डॉ. हुआ द्वारा संचालित होता है।
यह टेबलेट से मरीजों से बात करता, बीमारी पहचानता और इलाज सुझाता है। यह 30 श्वसन रोगों का इलाज करता है और 50 रोगों तक विस्तार योजना में है। हालांकि, अंत में किसी इंसानी डॉक्टर को ही अंतिम निर्णय लेना होता है। जटिल मामलों में इंसानी समझ जरूरी एआई सामान्य बीमारियों की पहचान में सक्षम है। दा विंसी जैसे सर्जिकल रोबोट भारत के अस्पतालों में भी उपयोग हो रहे हैं। लेकिन एआई में सहानुभूति, नैतिक सोच और जटिल मामलों में निर्णय लेने की क्षमता नहीं है। इसलिए सियनी की क्लिनिक में हर निर्णय की मानव डॉक्टर से पुष्टि अनिवार्य है। गलत जानकारियां भी दे सकता है दक्षिण कोरिया, चीन, जापान और भारत में सर्जिकल रोबोट पर भरोसा बढ़ा है, लेकिन निगरानी भी जरूरी है। यूरोप का एआई एक्ट, अमेरिका की एफडीए और विश्व स्वास्थ्य संगठन सुरक्षा, पारदर्शिता और नैतिकता पर जोर देते हैं। एआई कभी-कभी गलत जानकारी आत्मविश्वास से दे सकता है। भारत के मेडिकल एथिक्स कोड के तहत डॉक्टरों को एआई उपयोग की जानकारी मरीजों को देनी होती है। इसलिए मरीजों का भरोसा बनाए रखने के लिए इंसानी डॉक्टरों की भूमिका जरूरी है। एआई डॉक्टर के कई फायदे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, अमेजन और एनविडिया के टूल एक्स-रे, मेडिकल रिकॉर्ड और बड़े डाटा का तेज व सटीक विश्लेषण करते हैं। ये इलाज के सारांश भी तैयार करते हैं। एआई डॉक्टर कभी थकते नहीं और एक सप्ताह में 10 हजार मरीज देख सकते हैं, जबकि इंसानी डॉक्टर औसतन 100 ही मरीज देख पाते हैं, जो भीड़भाड़ वाले स्वास्थ्य तंत्र के लिए फायदेमंद है।
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