चलते-चलते : अब डॉल्फिन से बात करेगा गूगल का एआई
गूगल ने जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर 'डॉल्फिनजेम्मा' नामक नई एआई तकनीक विकसित की है, जिससे डॉल्फिन की आवाजों को समझना और उनका जवाब देना संभव हो सकता है। यह तकनीक स्टेनेला फ्रोंनटेलस...

या एआई की मदद से डॉल्फिन के साथ संवाद करने की कोशिश
- डॉल्फिनजेम्मा तकनीक से बातचीत को समझना और जवाब दिया जाएगा
सिलिकॉन वैली, एजेंसी।
इंसानों की तरह डॉल्फिन से बात करने का सपना अब हकीकत के करीब पहुंच रहा है। गूगल ने जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और वाइल्ड डॉल्फिन प्रोजेक्ट के साथ मिलकर एक नई एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) तकनीक डॉल्फिनजेम्मा तैयार की है। इस तकनीक की मदद से डॉल्फिन की बातचीत को समझना और उसी भाषा में जवाब देना आसान हो सकता है।
डॉल्फिनजेम्मा एक एआई मॉडल है जिसे समुद्र में रहने वाली स्टेनेला फ्रोंनटेलस प्रजाति की डॉल्फिन्स की आवाजों पर प्रशिक्षित किया गया है। डॉल्फिन आमतौर पर क्लिक्स, सीटी और तेज-तेज ध्वनि से आपस में संवाद करती हैं। ये आवाजें वे खेलने, प्रेम-व्यवहार या झगड़े के समय इस्तेमाल करती हैं।
ध्वनियों के तरीकों को सीखता है यह मॉडल :
शोधकर्ता डॉ. थैड स्टार्नर ने कहा कि जब मैंने पहली बार इस एआई से डॉल्फिन जैसी असली आवाजें सुनीं, तो मैं खुशी से नाच उठा। यह एआई डॉल्फिन की ध्वनियों को मनुष्यों की भाषा में अनुवाद करने की कोशिश नहीं करता। इसकी बजाय यह अलग-अलग ध्वनियों के तरीकों को सीखता है और समझता है कि किस संदर्भ में कौन सी ध्वनि होती है।
चैट डिवाइस भी करेगा मदद :
टीम एक और डिवाइस पर भी काम कर रही है, जिसका नाम है चैट। यह एक पहनने वाला डिवाइस है जिसे गोताखोर समुद्र में पहनकर डॉल्फिन जैसी ध्वनि निकाल सकते हैं।
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