Bombay High Court Grants Relief to Former SEBI Chairperson and Five Officials in Fraud Case बुच के खिलाफ प्राथमिकी के आदेश पर रोक बढ़ी , Delhi Hindi News - Hindustan
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बुच के खिलाफ प्राथमिकी के आदेश पर रोक बढ़ी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के लिए प्राथमिकी पर अंतरिम रोक बढ़ा दी है। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने कहा कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 1 April 2025 05:53 PM
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बुच के खिलाफ प्राथमिकी के आदेश पर रोक बढ़ी

- हाईकोर्ट से सेबी की पूर्व अध्यक्ष और पांच अन्य अफसरों को राहत

मुंबई, एजेंसी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ शेयर बाजार में कथित धोखाधड़ी और विनियामक उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज करने के विशेष अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक की अवधि बढ़ा दी।

हाईकोर्ट ने पिछले महीने विशेष अदालत के आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा था कि इस आदेश में आरोपियों की कोई विशेष भूमिका नहीं बताई गई थी। न्यायमूर्ति शिवकुमार डिगे ने मंगलवार को कहा कि मामले में मूल शिकायतकर्ता ने हलफनामा दायर किया है और बुच और अन्य को इसे पढ़ने के लिए समय दिया गया है। न्यायमूर्ति डिगे ने कहा कि पहले दी गई अंतरिम राहत अगले आदेश तक जारी रहेगी। उन्होंने मामले की सुनवाई की अगली तारीख सात मई तय की है। मालूम हो कि पिछले महीने बुच, सेबी के तीन वर्तमान पूर्णकालिक निदेशक अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररामन राममूर्ति और बीएसई के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल ने विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। याचिकाओं में विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया था जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को 1994 में बीएसई में एक कंपनी को सूचीबद्ध करते समय धोखाधड़ी के कुछ आरोपों के संबंध में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। याचिकाओं में दावा किया गया था कि विशेष अदालत का आदेश गलत और अधिकार क्षेत्र के परे जाकर दिया गया है।

बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप

विशेष अदालत ने अपना आदेश एक पत्रकार की याचिका पर दिया था। उसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की गई थी। इस पर विशेष अदालत के न्यायाधीश एसई बांगर ने एक मार्च के अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया विनियमन संबंधी चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसके लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।

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