संशोधित- मुख्यमंत्री रेखा ने जीटीबी का किया औचक निरीक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं में मिली कमी
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जीटीबी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया और स्वास्थ्य सेवाओं में कमी पाई। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने स्वास्थ्य मॉडल को बर्बाद कर दिया है। निरीक्षण में पीपीई किट और अन्य...

संशोधित- मुख्यमंत्री रेखा ने जीटीबी का किया औचक निरीक्षण, स्वास्थ्य सेवाओं में मिली कमी - स्वास्थ्य माडल की पोल खोलते हुए केजरीवाल पर साधा निशाना
- कर्मचारियों और मरीजों ने की मुख्यमंत्री से शिकायत
नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मंगलवार शाम को दिलशाद गार्डन स्थित गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंची। निरीक्षण के दौरान उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में कमी मिली। मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक पर चार अतिरिक्त अस्पतालों का भी प्रभार है। जो कि चिंताजनक है। उन्होंने राजधानी के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने स्वास्थ्य माडल को बर्बाद कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पताल के बेसमेंट और अन्य जगहों पर कोरोनाकाल के दौरान खरीदी गईं पीपीई किट, दवाएं, वेंटिलेटर, बेड, आक्सीजन कंसन्ट्रेटर व अन्य आवश्यक स्वास्थ्य उपकरण कबाड़ हो चुके हैं। रेखा ने निर्माणाधीन इमारत का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये बर्बाद करने के बाद भी नया अस्पताल बनकर तैयार नहीं हुआ। केजरीवाल सरकार की लापरवाही की वजह से मरीजों के उपचार पर प्रभाव पड़ा है।
---------
एक भी एमआरआई नहीं, 12 साल पुरानी सीटी स्कैन मशीन
रेखा गुप्ता ने कहा कि जीटीबी जैसे बड़े अस्पताल में एक भी एमआरआई की मशीन नहीं है। सीटी स्कैन की मशीन 12 साल पुरानी है जबकि एक सीटी स्कैन की मशीन की कार्य क्षमता अधिकतम दस वर्ष की होती है। 40 फीसदी पद खाली पड़े हैं। जहां पर रोजाना छह से सात हजार मरीजों की ओपीडी रहती है, उस अस्पताल में केवल 95 आईसीयू बेड हैं। यहां पर दिल्ली से सटे इलाकों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उन्हें छोटी-छोटी चीजों के लिए भी निजी सेंटर पर जाना पड़ता है। केजरीवाल सरकार का स्वास्थ्य माडल की पोल खुल चुकी है।
---------
मरीजों और कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से की शिकायत
दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर कहा कि उन्हें छह महीने से वेतन नहीं मिला है। एक निजी कंपनी पैसे लेकर नौकरी पर रखती है। समय पर वेतन नहीं मिलने से घर चलाना और बच्चों की फीस, मकान का किराया देने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं मरीजों ने कहा कि अस्पतालों में दवाओं का काफी अभाव है। यदि चिकित्सक किसी मरीज को चार से पांच दवा लिखते हैं, तो अस्पताल से उन्हें केवल एक या दो दवा ही मिल पाती हैं। अन्य दवाओं के लिए निजी मेडिकल स्टोर पर पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।