विश्व साइकिल दिवस- सुरक्षित नहीं है राजधानी में साइकिल की सवारी
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता राजधानी में साइकिल से चलना अब भी सुरक्षित नहीं

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता राजधानी में साइकिल से चलना अब भी सुरक्षित नहीं माना जा रहा है। आईआईटी दिल्ली के शोधार्थियों द्वारा 17 देशों के 35 प्रमुख शहरों में किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि जहां नीदरलैंड्स, जापान और जर्मनी जैसे देशों में साइकिलिंग एक सामान्य जीवनशैली का हिस्सा है, वहीं भारत जैसे देशों में यह अभी भी सीमित और असमान रूप से अपनाई जाती है। डा.राहुल गोयल बताते हैं कि शोध से यह स्पष्ट होता है कि दिल्ली में साइकिल चलाने वालों की किसी सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो जाने का जो डर है वह 40 गुना है।
यदि हम इसे मोटरसाइकिल से तुलना करें सड़क दुर्घटना में मोटरसाइकिल की तुलना में साइकिल चलाने वालों के दुर्घटना का डर दोगुना है। साइकिल और गाड़ी में यह अंतर काफी है। यदि आप अंतराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों की तुलना करें तो उसमें दिल्ली में जो साइकिल पर चलने वालों की मृत्यु का अंकड़ा उनकी तुलना में 3 से 6 गुना अधिक है। लंदन से तुलना करें तो दिल्ली में साइकिल चालकों के मरने की दर दोगुनी है। डा.राहुल बताते हैं कि मृत्यु दर प्रति किलोमीटर की संभावना की दर से कैलकुलेट होती है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंजुरी कंट्रोल एंड सेफ्टी प्रमोशन में पॉप्युलेशन लेवल एस्टीमेट ऑफ़ बाइसिकल यूज़ एंड फेटैलिटी रिस्क इन अ डेटा-पुअर सेटिंग शीर्षक से प्रकाशित एक अन्य शोध में कहा गया है कि दिल्ली जैसे कमजोर शहरी क्षेत्रों में साइकिल सवारों की संख्या काफी है, लेकिन उनके लिए सड़कें सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने बताया कि सड़कों की डिजाइन में साइकिल ट्रैक बेहतर हो तो साइकिल चलाने वालों की संख्या बढेगी। लेकिन जहां जरूरी है वहां ट्रैक बनाए जाने चाहिए। साइकिल ट्रैक वहां नहीं बनते हैं जहां साइकिल चलाने वालों की जरूरत है। यह इंडस्ट्रियल एरिया में अधिक है। वहां साइकिल ट्रैक बनाने की जरूरत है। डेटा को देखकर जो हमारे एक्शन होने चाहिए वह नहीं हो रहे हैं। कहने के लिए सरकार साइकिल के लिए काम करती है लेकिन वह कहां होना चाहिए इस दिशा में काम नहीं हो रहा है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि उन देशों में जहां साइकिलिंग का स्तर उच्च है, वहां महिलाओं और बच्चों की भागीदारी भी अधिक है। उदाहरण के लिए, नीदरलैंड्स में साइकिल यात्राओं में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर या उससे अधिक है। इसके विपरीत, उन देशों में जहां साइकिलिंग का स्तर 7 फीसद से कम है, वहां महिलाओं की भागीदारी में स्पष्ट कमी देखी गई। उच्च साइकिलिंग वाले देशों में कार्य और गैर-कार्य (जैसे खरीदारी, स्कूल, मनोरंजन) यात्राओं में संतुलन देखा गया। इसके विपरीत, निम्न साइकिलिंग वाले देशों में साइकिल का उपयोग मुख्य रूप से कार्यस्थल तक सीमित है। इससे स्पष्ट होता है कि साइकिलिंग को एक व्यापक परिवहन साधन के रूप में अपनाने के लिए नीतिगत प्रयासों की आवश्यकता है। भारत में साइकिलिंग की स्थिति चिंताजनक है। आईआईटी दिल्ली के ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंजरी प्रिवेंशन प्रोग्राम में कार्यरत प्राध्यापक राहुल गोयल का कहना है कि भारत में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षित और समर्पित साइकिल लेनों की आवश्यकता है। दिल्ली जैसे महानगरों में साइकिल चालकों के लिए बुनियादी ढांचे की कमी, ट्रैफिक का दबाव और सुरक्षा की चिंता साइकिलिंग को हतोत्साहित करती है। ------------ आसान नहीं है यहां साइकिल चलाना राजधानी के पूर्वी दिल्ली के मानसरोवर पार्क में रहने वाले यायावर मैक्स अपनी फिटनेस के लिए साइकिल चलाते हैं। यही नहीं उनका साइकिल चलाने वालों का एक समूह भी है। इसमें दिल्ली एनसीआर के कई लोग जुड़े हैं। लेकिन वह दिल्ली में साइकिल चलाने को सुरक्षित नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में वाहनों की भीड़ के बीच साइकिल चलाना चुनौतीपूर्ण है। वह बताते हैं कि मेरा तीन बार एक्सीडेंट हो चुका है, जिसमे मैंने एक बार कंधे की एक बार कलाई की हड्डी टूट चुकी है। उनका कहना है कि पहले वह रोज साइकिल चलाते थे लेकिन अब वह शनिवार इतवार और मंगलवार को साइकिल चलाते हैं। शहर को साइक्लिंग फ्रेंडली बनाने के लिए सुझाव -शहर में कम से कम या प्रारंभ में मुख्य सड़कों पर साइकल लेन बने, बाद में इसे सम्पूर्ण शहर में बनाया जाए -शहर में पार्कों और खाली पड़ी सरकारी जमीन पर कच्चे साइकल ट्रेक बनाए जाए जो एक कोने से दूसरे कोने तक जाने में आसानी होगी। -अन्य देशो में एलिवेटेड साइकल ट्रेक का भी निर्माण किया गया है , जिसकी छत सोलर पैनल से बनी है भारत की ट्रेफिक वाली सड़कों पर भी यही कार्य किया सकता है -साइकल लेन ट्रैक को अवैध कब्जे और अन्य वाहनों से मुक्त रखने की पूर्ण व्यवस्था की जाए नो-व्हीकल ज़ोन‘ग्रीन कॉरिडोरसप्ताह के एक दिन या महीने में कुछ हिस्सों को पूरी तरह वाहनों से मुक्त करना। - गलत दिशा में ड्राइविंग, नशे में गाड़ी चलाना, और ओवरस्पीडिंग को सिर्फ ट्रैफिक उल्लंघन नहीं, बल्कि आपराधिक कृत्य मानना चाहिए यही नहीं इनकी काउंसलिंग भी होनी चाहिए।
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