Deadly Aspergillus Fumigatus Fungus Poses Global Health Threat Due to Climate Change जलवायु परिवर्तन से जानलेवा फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ा, Delhi Hindi News - Hindustan
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जलवायु परिवर्तन से जानलेवा फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ा

गर्म जलवायु के कारण 'एस्परजिलस फ्यूमिगेटसेक' नामक एक घातक फंगस दुनिया के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। यह फंगस फेफड़ों के रोगों को बढ़ा सकता है और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए जानलेवा हो...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 6 May 2025 01:57 PM
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जलवायु परिवर्तन से जानलेवा फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ा

लंदन, एजेंसी। गर्म होती जलवायु के कारण ‘एस्परजिलस फ्यूमिगेटसेक नामक एक घातक फंगस दुनिया के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। यह फंगस एशिया सहित दुनियाभर में फेफड़ों के रोगों को तेजी से बढ़ा सकता है। यदि समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो यह लाखों लोगों की जान ले सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के अध्ययन में इस खतरे की चेतावनी दी गई है। विज्ञान पत्रिका स्क्वायर में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह गर्म और नम वातावरण में तेजी से बढ़ता है और 37 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी जीवित रह सकता है। यह आमतौर पर खाद में पनपता है, जिससे इसके फैलने की गति तेज होती है।

यह फंगस विशेष रूप से उन लोगों के लिए खतरनाक है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि यह समस्या इसलिए और गंभीर है क्योंकि फंगल संक्रमण पर किए गए अध्ययन बहुत सीमित हैं। नया स्वास्थ्य संकट हो सकता है उत्पन्न -अध्ययन के सह-लेखक नॉर्मन वैन राइन ने कहा, बढ़ते तापमान और जीवाश्म ईंधनों के उपयोग ने दुनिया को एक नए स्वास्थ्य संकट की ओर धकेल दिया है। दुनिया अब उस मोड़ पर पहुंच गई है, जहां फंगल संक्रमण का प्रसार सामान्य हो सकता है। -राइन ने चेतावनी दी, अगर जीवाश्म ईंधनों का उपयोग इसी तरह जारी रहा, तो वर्ष 2100 तक यह फंगस दुनिया के 77 फीसदी नए क्षेत्रों में फैल सकता है, जिससे यूरोप में ही 90 लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं। -शोधार्थी एलेन बिग्नेल ने कहा, प्राकृतिक वातावरण में इस फंगस की जीवनशैली ने इसे इतना अनुकूल बना दिया है कि यह इंसानी फेफड़ों में आसानी से पनप सकता है। रेडिएशन का भी असर नहीं यह फंगस इतना ताकतवर और जिद्दी है कि यह चेरनोबिल के न्यूक्लियर रिएक्टर जैसे रेडिएशन से प्रभावित इलाकों में भी जिंदा रह सकता है। यही कारण है कि इंसानी शरीर के भीतर भी यह आसानी से पनप सकता है और इलाज को चुनौतीपूर्ण बना देता है। इन लोगों के लिए बढ़ेगा खतरा -कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग -अस्थमा, कैंसर, एचआईवी के मरीज -अंग प्रत्यारोपण के मरीज -बुजुर्ग और लंबे समय से बीमार लोग -अस्पताल में भर्ती मरीज -धूल वाले वातावरण में काम करने वाले लोग

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