सड़क हादसा पीड़ितों को त्वरित कैशलेस इलाज देने की योजना एक सप्ताह में होगी लागू- केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सड़क हादसे के पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की योजना एक सप्ताह के भीतर लागू की जाएगी। जस्टिस ओका ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सड़क निर्माण के बावजूद इलाज...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ‘सड़क हादसा के पीड़ित लोगों को त्वरित यानी गोल्डन आवर में समुचित इलाज मुहैया कराने के लिए एक सप्ताह के भीतर कैशलेस इलाज की योजना को लागू कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से मिली फटकार के बाद दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज मुहैया कराने की योजना को लागू करने के बारे में यह जानकारी दी।
जस्टिस अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही, आदेश के बाद भी हादसा पीड़ितों को गोल्डन आवर में इलाज देने के लिए कैशलेस योजना को लागू करने में हो रही देरी पर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। पीठ ने केंद्र से कहा कि आप बड़े-बड़े राजमार्गों का निर्माण कर रहे हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोग वहां मर रहे हैं। जस्टिस ओका ने कहा कि ‘ऐसे राजमार्गों का क्या उपयोग, जब लोग वहां मर रहे हों? इसके बाद, शीर्ष अदालत ने अपने अपने आदेश में कहा है कि ‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव खुद पेश हुए और यह भरोसा दिया है कि सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को ‘गोल्डन ऑवर के दौरान कैशलेस उपचार देने की योजना एक सप्ताह के भीतर लागू कर दी जाएगी। पीठ ने आदेश में है कि उन्होंने जानकारी दी है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162(2) के अनुसार गोल्डन ऑवर की योजना आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर लागू कर दी जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा है कि सचिव ने यह भी कहा कि सरकार 8 जनवरी, 2025 के आदेश के पैराग्राफ 8 में निहित निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए माफी मांगती है। पीठ ने सरकार को कैशलेस योजना को लागू करने और 9 मई तक इस बारे में अधिसूचना को अदालत के रिकार्ड पर लाने का आदेश दिया है।
इससे पहले, इस योजना को अब तक लागू नहीं किए जाने के लिए पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 8 जनवरी, 2025 के आदेश के बावजूद केंद्र सरकार ने न तो आदेश का पालन किया और न ही समय बढ़ाने की मांग को लेकर कोई अर्जी दाखिल की। पीठ ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164ए एक अप्रैल, 2022 को तीन साल के लिए प्रभाव में लाई गई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने दावेदारों को अंतरिम राहत देने के लिए योजना बनाकर इसे लागू नहीं किया।
जस्टिस ओका ने सुनवाई के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव से पूछा कि ‘आप अदालत की अवमानना कर रहे हैं। आपने समय बढ़ाने की मांग करने की जहमत नहीं उठाई। आखिर यह क्या हो रहा है? आप हमें बताएं कि आप योजना कब बनाएंगे? आपको अपने ही कानूनों की परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कल्याणकारी प्रावधानों में से एक है, इसे प्रभाव में आये 3 साल हो गए हैं। क्या आप हमें बताइए कि वाकई आम लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं?
इतना ही नहीं, जस्टिस ओका ने ‘मंत्रालय के सचिव से कहा कि क्या आप इतने लापरवाह हो सकते हैं? क्या आप इस प्रावधान के प्रति गंभीर नहीं हैं? लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर रहे हैं। आप बड़े-बड़े राजमार्ग बना रहे हैं, लेकिन वहां लोग मर रहे हैं क्योंकि वहां कोई सुविधा नहीं है। पीठ ने कहा कि गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट यानी हादसे के एक घंटे के भीतर इलाज की कोई योजना नहीं है। इतने सारे राजमार्ग बनाने का क्या फायदा? पिछली सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय के सचिव को निजी रूप से पेश होकर सफाई देने को कहा था।
इससे पहले, सरकार की ओर से पीठ को बताया गया कि हादसा पीड़ितों को कैशलेस इलाज देने के लिए एक मसौदा योजना तैयार की गई थी, लेकिन जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) द्वारा आपत्ति जताए जाने के कारण इसमें देरी/बाधा उत्पन्न हो गई। पीठ को सरकार ने बताया कि जीआईसी सहयोग नहीं कर रही है। साथ ही कहा कि उसे दुर्घटना में शामिल मोटर वाहन की बीमा पॉलिसी की स्थिति की जांच करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी।
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