Phthalates Linked to 368 764 Deaths from Heart Disease in 2018 Study चलते-चलते : प्लास्टिक का सामान दिल पर पड़ रहा भारी, Delhi Hindi News - Hindustan
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चलते-चलते : प्लास्टिक का सामान दिल पर पड़ रहा भारी

- इसमें इस्तेमाल रसायन डीईएचपी हृदय रोग से कर रहा पीड़ित - न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 30 April 2025 03:35 PM
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चलते-चलते : प्लास्टिक का सामान दिल पर पड़ रहा भारी

- यह अध्ययन 55 से 64 वर्ष की उम्र के लोगों पर केंद्रित था

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नंबर गेम

- 2018 में 3,56,000 लोगों की मौतें इसी रसायन से जुड़ी हो सकती है

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बयान

फथलेट्स हृदय की कोरोनरी धमनियों में सूजन बढ़ाता है, जो पहले की बीमारियों को बढ़ा सकता है और गंभीर बीमारियों समेत मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

- डॉक्टर लियोनर्डो ट्रासांडे, शोधकर्ता

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न्यूयॉर्क, एजेंसी।

एक नए अध्ययन में पता चला है कि 2018 में दुनिया भर में 3.56 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें दिल की बीमारी से हुई, जिनका संबंध प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन फ्थेलेट्स से था। फ्थेलेट्स एक ऐसा रसायन है जो प्लास्टिक को लचीला और मुलायम बनाने के लिए इस्तेमाल होता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोन हेल्थ का अध्ययन लांसेट ईबायोमेडिसिन में प्रकाशित हुआ है। यह अध्ययन 55 से 64 वर्ष की उम्र के लोगों पर केंद्रित था।

यह रसायन डिब्बों, मेडिकल उपकरणों, डिटरजेंट, कीटनाशक, कॉस्मेटिक और कई घरेलू वस्तुओं में पाया जाता है। ये टूटकर छोटे कणों में बदल जाता है जो हमारे शरीर में जाकर कई बीमारियां पैदा कर सकता है। इससे मोटापा, डायबिटीज, हार्मोन गड़बड़ी, कैंसर और दिल की बीमारी शामिल है।

दिल पर इस तरह डालता है असर

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान एक खास प्रकार के फ्थेलेट्स डीईएचपी पर ध्यान दिया। यह हृदय की धमनियों में सूजन पैदा करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

कई मौतों का जिम्मेदार निकला फथलेट्स रसायन

अध्ययन के शोधकर्ताओं ने कई जनसंख्या सर्वे से स्वास्थ्य और पर्यावरण डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें फथलेट्स को हृदय रोग का कारण माना गया। इस विश्लेषण में पाया कि साल 2018 में वैश्विक स्तर पर 55 से 64 वर्ष की आयु के पुरुषों और महिलाओं में फथलेट्स के संपर्क में आने से 3,68,764 मौतें हुईं। अध्ययन के अनुसार, फथलेट्स से जुड़ी हृदय रोग से होने वाली मौतों में से 30 प्रतिशत अफ्रीका में हुई, बाकि अन्य देशों में।

भारत की स्थिति गंभीर

इस मामले में भारत की स्थिति गंभीर है। शोधकर्ताओं ने भारत में 2018 में 1,03,587 मौतों का कारण फ्थेलेट्स को माना है। भारत के बाद चीन और इंडोनेशिया है। मिडिल ईस्ट, साउथ एशिया और ईस्ट एशिया-पैसिफिक क्षेत्रों में कुल मिलाकर 75 फीसदी मौतें इसके कारण हुई हैं। इन इलाकों में प्लास्टिक निर्माण तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन नियम और सुरक्षा उपाय कमजोर बताए गए हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन का निष्कर्ष निकाला कि फथलेट्स लोगों के लिए खतरनाक है और प्लास्टिक के कम इस्तेमाल करने पर जोर दिया।

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