पाकिस्तानी नागरिक ने भारत में डाला वोट? ओसामा का दावा- मेरे पास आधार, राशन कार्ड सब यहां का है
मध्य प्रदेश प्रशासन भी ऐसे ही एक उलझन में पड़ गया, जब उन्हें राज्य में रहने वाले 9 ऐसे बच्चों की जानकारी मिली जिनकी मां भारतीय और पिता पाकिस्तानी हैं।

अटारी-वाघा बॉर्डर से एक और वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। इसमें एक पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़कर अपने देश लौटते वक्त रोते हुए अपनी आपबीती सुना रहा है। यह वीडियो ऐसे समय में सामने आया है जब भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद से मेडिकल ट्रीटमेंट, विवाह या अन्य कारणों से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की कहानियां लगातार सामने आ रही हैं।
इस बार चर्चा में आए युवक का नाम ओसामा है। खुद को पाकिस्तानी नागरिक बताते हुए ओसामा ने ANI से बातचीत में कहा, “मैं इस वक्त उरी से आ रहा हूं। लेकिन मैं रावलपिंडी, इस्लामाबाद का रहने वाला हूं। इस समय मैं कम्प्यूटर साइंस में बैचलर कर रहा हूं। फाइनल सेमेस्टर चल रहा है। जून में मेरे एग्जाम थे। परीक्षा के बाद जॉब इंटरव्यू देना चाहता था। मैं पिछले 17 साल से भारत में रह रहा हूं। मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या कहूं।”
ओसामा ने बताया कि वह पाकिस्तानी नागरिक है और उसके पास भारत का पासपोर्ट नहीं है। वह 24 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से भारत आया था। ओसामा का दावा है कि वह कानूनी तरीके से भारत आया था। उसने आगे कहा, “मैंने यहां 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की है, मेरे पास राशन कार्ड है, आधार कार्ड है, वोटर आईडी कार्ड है, मैंने यहां वोट भी डाला है। निवास प्रमाणपत्र है। अब मैं पाकिस्तान जाकर क्या करूंगा? मेरा भविष्य कहां है?” ओसामा के इन दावों ने नई बहस को जन्म दे दिया है कि आखिर एक विदेशी, वह भी पाकिस्तानी नागरिक भारत में वोट कैसे डाल सकता है?
यहां देखें ओसामा का वीडियो-
वोट डालने के दावे से मचा बवाल
ओसामा के 'वोट डालने' के दावे के बाद सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया। भारत के चुनाव आयोग का प्रमुख कार्यक्रम ‘SVEEP’ विदेशी नागरिकों के लिए मतदान के किसी अधिकार का उल्लेख नहीं करता। यहां तक कि जिन लोगों के पास OCI कार्ड होता है, उन्हें भी भारत में वोट डालने की अनुमति नहीं होती। OCI कार्ड भी पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों के नागरिकों के लिए प्रतिबंधित है। गृह मंत्रालय की वेबसाइट साफ तौर पर बताती है कि विदेशी नागरिक न तो भारत में वोट डाल सकते हैं, न ही किसी संवैधानिक पद पर नियुक्त हो सकते हैं।
इस तरह के मामलों पर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ने चिंता जताई और इसे "पाकिस्तानी आतंकवाद का नया चेहरा" करार दिया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने सवाल उठाया कि कैसे एक पाकिस्तानी नागरिक को भारतीय दस्तावेज, जैसे वोटर आईडी और राशन कार्ड, मिल सकते हैं।
पाकिस्तानी महिलाओं को लेकर उठे सवाल
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि 5 लाख से अधिक पाकिस्तानी महिलाएं भारत में शादी के बाद रह रही हैं, लेकिन उन्हें आज तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। उन्होंने पूछा, “ऐसे दुश्मनों से कैसे लड़ा जाए जो अंदर घुस चुके हैं?”
निशिकांत दुबे ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी व बांग्लादेशी आतंकवादी मुस्लिम को शादी के नाम पर, क्रिकेट के नाम पर, बीमारी के नाम पर 1950 से 2014 तक बसाया। सभी भारत में विपक्षी पार्टी के सहयोग से या चोरी छिपे रह रहे आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक तथा पहलगाम में हिंदुओं के हत्यारे व उनके साजिश कर्ता पाकिस्तान सेना मारी जाएगी।"
उनके इस बयान के बाद बहस और तेज हो गई। एक सोशल मीडिया यूजर ने एक महिला का वीडियो शेयर किया जो अटारी बॉर्डर पर रोते हुए नजर आ रही थी। बताया गया कि महिला के पति, ससुराल वाले और पिता – कोई भी तीन बच्चों को लेने नहीं आया। यूजर ने दावा किया कि महिला के पास भारतीय पासपोर्ट है और वह सरकारी योजनाओं का लाभ ले रही थी।
अटारी बॉर्डर पर लगातार लौट रहे पाकिस्तानी नागरिक
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया है। इसके तहत इंद्रा गांधी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP), अटारी पर 25 अप्रैल से कई पाकिस्तानी नागरिकों की वापसी देखी जा रही है। भारत ने शॉर्ट टर्म और विशेष वीजा रद्द कर दिए हैं, वहीं पाकिस्तान ने भी भारतीय नागरिकों के लिए वीजा सेवा स्थगित कर दी है।
मध्य प्रदेश में 9 बच्चों का मामला
मध्य प्रदेश प्रशासन भी ऐसे ही एक उलझन में पड़ गया, जब उन्हें राज्य में रहने वाले 9 ऐसे बच्चों की जानकारी मिली जिनकी मां भारतीय और पिता पाकिस्तानी हैं। प्रशासन को इनके कानूनी दर्जे को लेकर गृह मंत्रालय से मार्गदर्शन लेना पड़ा। इन मामलों ने निर्वाचन आयोग और संबंधित अधिकारियों पर दबाव बढ़ा दिया है कि वे इस दावे की सत्यता की जांच करें। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह दावा सही है, तो यह मतदाता पंजीकरण प्रक्रिया में गंभीर खामियों को दर्शाता है। कुछ विश्लेषकों ने यह भी सुझाव दिया कि आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया को और सख्त करने की आवश्यकता है।