शौर्य चक्र विजेता की मां को पाकिस्तान नहीं भेजेगा भारत, पुलिस ने दी सफाई; 59 लोगों की विदाई तय
दशकों से घाटी में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को विभिन्न जिलों से इकट्ठा किया गया और बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें सीमा पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।

पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद, भारत ने देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को निकालने की प्रक्रिया शुरू की है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने 59 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके मूल देश वापस भेजने के लिए पंजाब पहुंचाया है। अधिकारियों ने यह जानकारी। हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिनमें दावा किया गया था कि मरणोपरांत शौर्य चक्र विजेता शहीद पुलिस जवान मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर को पाकिस्तान डिपोर्ट किया जा रहा है। पुलिस ने इसे "झूठी और निराधार" खबर करार देते हुए स्पष्ट किया कि शमीमा अख्तर भारत में ही रहेंगी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में रह रहे 59 अन्य पाकिस्तानी नागरिकों को वाघा बॉर्डर के रास्ते उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इनमें से कई पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे शामिल हैं, जो 2010 की पुनर्वास नीति के तहत भारत लौटे थे।
अधिकारियों के अनुसार, दशकों से घाटी में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को विभिन्न जिलों से इकट्ठा किया गया और बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें सीमा पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। इनमें शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद शेख की मां भी पहले शामिल थीं। मई 2022 में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए कांस्टेबलन मुदस्सिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर निर्वासित लोगों में से एक थीं। हालांकि, बाद में उन्हें यहीं रहने की अनुमति दे दी गई।
PoK की रहने वाली हैं शमीमा
शमीमा के देवर मोहम्मद यूनुस ने स्पष्टीकरण में कहा कि शहीद मुदस्सिर की मां घर लौट आई हैं और उन्हें निर्वासन के लिए नहीं ले जाया गया। यूनुस ने कहा, "हम भारत सरकार के आभारी हैं।" इससे पहले, मुदस्सिर के चाचा ने संवाददाताओं से कहा था कि उनकी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की हैं, इसलिए उन्हें निर्वासित नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं, जो हमारा क्षेत्र है। केवल पाकिस्तानियों को ही निर्वासित किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि मुदस्सिर की मृत्यु के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे।
यूनुस ने कहा, ‘‘मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र 20 साल थी और वह 45 साल से यहां रह रही हैं। (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।’’ शमीमा ने 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के फैलने से पहले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद मकसूद से विवाह किया था। पुलिसकर्मी की याद में बारामूला शहर के मुख्य चौक का नाम शहीद मुदस्सिर चौक रखा गया है।
शांति काल का तीसरे सबसे बड़े सम्मान
मुदस्सिर के प्रशस्ति पत्र के अनुसार, अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने वाली एक बड़ी आतंकवादी साजिश को विफल करने में उनकी भूमिका के लिए उन्हें शांति काल का तीसरे सबसे बड़े सम्मान से 2022 में मरणोपरांत सम्मानित किया गया। 25 मई 2022 को एक वाहन में सवार भारी हथियारों से लैस तीन विदेशी आतंकवादियों की गतिविधि के बारे में विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी, जिनका इरादा अमरनाथ यात्रा पर हमला करने का था। इस सूचना के जवाब में, उत्तरी कश्मीर के बारामूला में सुरक्षा बलों द्वारा तेजी से एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया।
भारत के वीर सपूत मुदस्सिर अहमद शेख
अभियान टीम के अनुभवी और सतर्क सदस्य कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद शेख ने संदिग्ध वाहन को पहचानने में तत्परता दिखाई और उसे चुनौती दी। आसन्न खतरे को भांपते हुए आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की। शेख ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए, वाहन पर हमला करके निर्णायक कार्रवाई की। बहादुरी का परिचय देते हुए उन्होंने एक आतंकवादी को गाड़ी से बाहर खींच लिया। इसके बाद शेष आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके कारण शेख गंभीर रूप से घायल हो गए।
बहुत ज्यादा खून बहने और असहनीय दर्द से जूझने के बावजूद शेख़ ने हिम्मत नहीं हारी और पकड़े गए आतंकवादी से हाथापाई जारी रखी। आखिरकार उन्होंने उसे मार गिराया। हालांकि, घायल शेख ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया। शमीमा ने अपने पति के साथ मई 2023 में दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह पुरस्कार लिया।
पिछले सप्ताह पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद केंद्र ने कई कदमों की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, इस्लामाबाद के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करना, तथा अल्पकालिक वीजा पर रह रहे सभी पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने या कार्रवाई का सामना करने का आदेश देना शामिल था। निर्वासित किए जा रहे 59 लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे।
जम्मू-कश्मीर पुलिस का स्पष्टीकरण
29 अप्रैल को बारामूला पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा, "कुछ मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया पर यह खबर चल रही है कि शौर्य चक्र विजेता मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर को पाकिस्तान डिपोर्ट किया जा रहा है। हम स्पष्ट करते हैं कि यह खबर पूरी तरह से झूठी और निराधार है।" पुलिस ने इस मामले में लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की।
किन्हें भेजा जा रहा है पाकिस्तान?
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अनुसार, 59 पाकिस्तानी नागरिकों को डिपोर्ट किया जा रहा है। इनमें से अधिकतर श्रीनगर (36), बारामूला (9), कुपवाड़ा (9), बडगाम (4), और शोपियां (2) जिलों में रह रहे थे। अधिकारियों ने बताया कि ये लोग मुख्य रूप से पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो 2010 की पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे। इन लोगों को बसों के जरिए पंजाब ले जाया गया, जहां से उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। इनमें एक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) जवान मुनीर खान की पत्नी मीनल खान भी शामिल हैं। मीनल, जो पाकिस्तान से हैं, ने 24 मई 2024 को मुनीर के साथ ऑनलाइन निकाह किया था और मार्च 2025 में जम्मू में अपने ससुराल पहुंची थीं। अब उन्हें भी डिपोर्टेशन का सामना करना पड़ रहा है।