महंगाई के चलते भारत में गोल्ड की डिमांड 15% गिरी, खपत 118.1 टन रही
Gold Demand: भारत में सोने की मांग जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में पिछले साल के मुकाबले 15 प्रतिशत घटकर 118.1 टन रही। हालांकि, बढ़ती कीमतों के कारण सोने की कुल वैल्यू 22 प्रतिशत बढ़कर 94,030 करोड़ रुपये हो गई।

भारत में सोने की मांग जनवरी-मार्च 2025 की तिमाही में पिछले साल के मुकाबले 15 प्रतिशत घटकर 118.1 टन रही। हालांकि, बढ़ती कीमतों के कारण सोने की कुल वैल्यू 22 प्रतिशत बढ़कर 94,030 करोड़ रुपये हो गई। वहीं, दुनियाभर में सोने की मांग जनवरी-मार्च 2025 में 1 प्रतिश् बढ़कर 1,206 टन हुई, जो 2019 के बाद सबसे ज्यादा पहली तिमाही का आंकड़ा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने अनुमान जताया है कि 2025 में भारत की सोने की मांग 700-800 टन के बीच रह सकती है।
कीमतों का असर, खरीदारी टाली
2025 की शुरुआत से सोने की कीमतों में 25% की छलांग लगी है, जो 10 ग्राम पर 1 लाख रुपये के पार जाने के करीब पहुंच गई है। महंगाई के चलते ग्राहकों ने छोटे और हल्के गहनों की ओर रुख किया, जबकि कई ने कीमतें गिरने का इंतजार करते हुए खरीदारी टाल दी। WGC इंडिया के सीईओ सचिन जैन ने कहा, "अक्षय तृतीया और शादी का सीजन आने से सोने की खरीद में रुझान बना हुआ है।" विशेषज्ञों के मुताबिक, अक्षय तृतीया जैसे शुभ अवसरों पर सोना खरीदने की परंपरा और इसे सुरक्षित निवेश मानने की सोच ने मांग को सपोर्ट किया है।
ज्वैलरी vs निवेश: ज्वैलरी की मांग 25 प्रतिशत गिरकर 71.4 टन रही (पिछले साल इसी दौरान 95.5 टन)। यह 2020 के बाद सबसे कम है।
निवेश मांग: 7% बढ़कर 46.7 टन हुई, क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता में लोगों ने सोने के सिक्के और बार में पैसा लगाया।
आयात बढ़ा, रीसाइक्लिंग घटी: सोने का आयात 8% बढ़कर 167.4 टन हुआ। रीसाइक्लिंग (पुराने सोने की बिक्री) 32% गिरकर 26 टन रही, क्योंकि लोग रिकॉर्ड कीमतों में सोना बेचने से हिचक रहे।
कीमतों का गणित: इस साल की पहली तिमाही में सोने की औसत कीमत 79,633.4 रुपये प्रति 10 ग्राम रही, जो पिछले साल की समान अवधि (55,247.2 रुपये) से काफी ऊपर है।