चिंताजनक : हवा से पौधों की पत्तियों में समा रहे प्लास्टिक कण
-नेचर में प्रकाशित शोध में पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा को लेकर नई चेतावनी -माइक्रोप्लास्टिक अब

बीजिंग, एजेंसी। प्लास्टिक प्रदूषण अब सिर्फ मिट्टी, पानी और हवा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब यह सीधे हमारी फसलों और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर चुका है। चीन की नानकाई यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि पौधों की पत्तियां अब हवा में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक कणों को सीधे अवशोषित कर रही हैं।
यह अध्ययन प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित हुआ है, जो पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चेतावनी देता है। शोध में पौधों की पत्तियों में पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) और पोलिस्टायरीन (पीएस) जैसे प्लास्टिक कणों की उपस्थिति दर्ज की गई है। इन कणों की मात्रा शहरी इलाकों, पार्कों, कूड़ा घरों और औद्योगिक क्षेत्रों में पाई गई पत्तियों में सबसे ज्यादा थी। खास बात यह है कि यह प्लास्टिक कण न सिर्फ पत्तियों की सतह पर जमा थे, बल्कि पौधों के ऊतक और विशेष संरचनाओं जैसे ट्राइकोम्स तक में समा चुके थे।
सब्जियों में पाया गया
चौंकाने वाली बात यह है कि नौ प्रकार की हरी सब्जियों में भी पीईटी और पीएस कण पाए गए। खुले खेतों में उगाई गई सब्जियों में अधिक प्लास्टिक था। पुराने और बाहरी पत्तों में नए और अंदरूनी पत्तों की तुलना में ज्यादा प्लास्टिक जमा मिला, जिससे पता चलता है कि यह समय के साथ धीरे-धीरे इकट्ठा होता है।
सूक्ष्म छिद्रों से प्रवेश कर रहा
वैज्ञानिकों ने पाया कि ये कण पौधों की पत्तियों पर मौजूद स्टोमाटा (सूक्ष्म छिद्रों) के माध्यम से अंदर प्रवेश करते हैं और वहां से पौधे की आंतरिक संरचनाओं जैसे ट्राइकोम्स और वास्कुलर टिशू तक पहुंचते हैं। जिन पौधों को प्लास्टिक-युक्त धूल के संपर्क में रखा गया, उनकी पत्तियों में सिर्फ एक दिन में पीईटी कण पाए गए।
बुरी तरह प्रभावित होगा स्वास्थ्य
1. पाचन तंत्र पर असर : माइक्रोप्लास्टिक पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं
2. हार्मोनल असंतुलन : थायरॉइड, प्रजनन और मेटाबॉलिज्म से जुड़ी गड़बड़ियां
3. प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव : शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो सकती है
4. कैंसर का खतरा : कुछ प्लास्टिक में मौजूद रसायनों को कैंसरकारी माना गया है
5. मस्तिष्क पर असर : याद्दाश्त की समस्या, एकाग्रता में कमी और न्यूरो-इंफ्लेमेशन हो सकता है
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भारत में स्थिति चिंताजनक
-भारत के विभिन्न क्षेत्रों में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण पाया गया है, जो पर्यावरण और खाद्य नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक कणों की उपस्थिति को दर्शाता है।
-एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में सभी प्रकार के नमक और चीनी ब्रांडों में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद हैं, चाहे वे बड़े हों या छोटे, पैक किए गए हों या खुले। - चिंताजनक: हवा में घुला प्लास्टिक अब पत्तियों के जरिये फसलों में पहुंच रहा - यह हेडिंग रहेगी। सिर्फ इंट्रो में इस ऐेंगल से बदलाव करो
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