कमल किशोर गोयनका निधन ::: प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ लेखक के तौर पर बनाई पहचान
प्रसिद्ध साहित्यकार कमल किशोर गोयनका का निधन मंगलवार को 86 वर्ष की आयु में हुआ। उनके निधन को साहित्य जगत में गहरी क्षति माना गया है। गोयनका ने प्रेमचंद पर व्यापक शोध किया और हिंदी साहित्य में...

- गोयनका के निधन को देश के कई साहित्यकारों ने गहरी क्षति बताया - केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष रहे
- 86 वर्ष की उम्र में ली मंगलवार को ली अंतिम सांस
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता।
प्रसिद्ध साहित्यकार कमल किशोर गोयनका का राजधानी में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनके निधन को देश के कई साहित्यकारों ने गहरी क्षति बताया है। गोयनका ने प्रेमचंद साहित्य के मर्मज्ञ लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।
साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उनके निधन पर दु:ख जताते हुए कहा, गोयनका का निधन साहित्य के लिए ऐसी क्षति है, जिसके कारण एक शोधकर्ता साहित्यकार अब हमारे बीच नहीं रहा। उन्होंने प्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद पर व्यापक शोध किया था। विश्वनाथ ने कहा, वे व्यक्तिगत संबंधों में जितने विनम्र थे, अपने लेखन में उतने ही अक्खड़ और स्पष्टवादी थे। उन्होंने अपने लेखों द्वारा अनेक विद्वानों को चुनौती दी। उम्र में दो वर्ष बड़े थे, लेकिन आखिरी वर्षों को छोड़कर हमेशा अति सक्रिय रहे। साहित्य की दुनिया ही उनकी एकमात्र दुनिया रही।
अच्छा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे
डीयू के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.मोहन ने बताया कि गोयनका सक्रिय लेखकों में गिने जाते थे। प्रेमचंद पर साधिकार लेखन किया। साथ ही प्रवासी साहित्य पर भी कार्य किया। प्रो. मोहन ने कहा, जब वह केंद्रीय हिंदी संस्थान का निदेशक बने तो वह उपाध्यक्ष थे। मिलनसार रहने वाले गोयनका अच्छा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहते थे। मेरा आत्मीय संबंध था। उनका निधन एक व्यक्तिगत नुकसान है। वह दूसरे अध्यापकों और लेखकों से भिन्न थे। हिंदी में दो ऐसे अध्यापक लेखक हैं, जो किसी कि परवाह किए बिना लिखे, एक राम विलास शर्मा थे और दूसरे कमल किशोर गोयनका।
प्रेमचंद के दृष्टिकोण में नए आयाम गढ़े
साहित्यकार और व्यंगकार प्रेम जन्मेजय हमेशा से गोयनका को हिंदी साहित्य का श्रमिक रचनाकार मानते रहे। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद पर शोध के लिए उन्होंने विरोध भी झेला। उन्होंने प्रेमचंद को लेकर परंपरागत दृष्टिकोण को तोड़कर नए आयाम भी गढ़े। आखिर में आकर वह प्रेमचंद को जीने लगे थे। प्रेमचंद पर उन्होंने जो शोध किया वह किसी उपाधि के लिए नहीं था, बल्कि तथ्य सामने रखे और एक दूसरे पक्ष से लोगों को रूबरू कराया। वह साहित्यकारों के लिए प्ररेणास्रोत रहेंगे।
अन्य हस्तियों ने भी जताया दुख
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ.के श्रीनिवास राव ने हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार और प्रेमचंद विशेषज्ञ के रूप में चर्चित कमल किशोर गोयनका के निधन पर गहरा दु:ख जताया। वहीं कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने फेसबुक पर लिखा, प्रख्यात लेखक कमल किशोर गोयनका लंबी बीमारी के बाद अनंत यात्रा के लिए प्रस्थान कर गए। मुंशी प्रेमचंद जी के साहित्य पर उनका कार्य हिंदी को अमूल्य योगदान है। उनकी सरलता सहजता आत्मीयता हमेशा याद रहेगी।
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