देश में एआई के उपयोग को लेकर बने ठोस कानून
नई दिल्ली में एआई और रक्षा विषय पर गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया। विशेषज्ञों ने कहा कि सेना के लिए एआई के उपयोग के स्पष्ट नियम जरूरी हैं, ताकि सूचना का गलत इस्तेमाल न हो। एआई का दायरा बढ़ता जा रहा...

- एआई और रक्षा विषय को लेकर गोलमेज सम्मेलन का आयोजन - तीनों सेनाओं से जुड़े विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, कानून, प्रौद्योगिकी और शिक्षाविदों ने अपना पक्ष रखा
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर देश में स्पष्ट नियम-कानून बनना चाहिए। सेना किस तरह से एआई का इस्तेमाल करे, इसको लेकर भी सख्त नियम होनी चाहिए, जिससे एआई के जरिए सूचना का गलत इस्तेमाल न किया जा सके।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को एआई और रक्षा विषय को लेकर एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें तीनों सेनाओं से जुड़े विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, कानून, प्रौद्योगिकी और शिक्षाविदों ने अपना पक्ष रखा। सेना से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल हो, इसको लेकर कोई गतिरोध नहीं है लेकिन साथ में यह भी सुनिश्चित करना होगा कि नियंत्रित तरीके से एआई के इस्तेमाल की इजाजत दी जानी चाहिए। क्योंकि आज के दौर में एआई का दायरा काफी बड़ा है। जब रक्षा क्षेत्र में इसका उपयोग किया जाए तो उसमें विशेष सावधानी बरतने की भी जरूरत है। खासतौर पर भारत में एआई को लेकर कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। सबसे पहले एआई को लेकर कानून बने। उसके बाद एआई पर नजर रखने के लिए कानूनी रूप से एक ढांचा तैयार है, जिससे कि उस पर नजर रखी जा सके। रक्षा क्षेत्र में किस सीमा तक एआई का इस्तेमाल किया जाना है। इसको लेकर भी प्रावधान किए जाएं।
एडवोकेट पवन दुग्गल एसोसिएट्स के सहयोग से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लॉ हब द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ब्रिगेडियर रामचंद्रा ने कहा कि एआई मौजूदा समय की जरूरत है। खासतौर पर सैन्य क्षेत्र में इसकी आवश्यकता बढ़ रही है लेकिन इसको लेकर स्पष्ट गाइडलाइन भी जरूरी है। अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि विशिष्ट और प्रतिष्ठित समूह को राष्ट्रीय सुरक्षा में जिम्मेदार और प्रभावी एआई उपयोग के लिए व्यापक दृष्टिकोण विकसित करना होगा। इंटेलिजेंस लॉ हब के मुख्य कार्यकारी डॉ. पवन दुग्गल ने उच्चस्तरीय चर्चाओं का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि भारत एआई के इस्तेमाल को लेकर गंभीरता से काम कर रहा है। भविष्य में इसको लेकर ठोस कानून लाने पर भी विचार किया जा रहा है।
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