Scientists Successfully Convert Lead to Gold in Groundbreaking CERN Experiment उपलब्धि : वैज्ञानिकों ने सीसे को सोने में बदला, Delhi Hindi News - Hindustan
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उपलब्धि : वैज्ञानिकों ने सीसे को सोने में बदला

- फिजिकल रिवीव सी में प्रकाशित शोध में सामने आई जानकारी नंबर गेम... 86

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 11 May 2025 02:03 PM
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उपलब्धि : वैज्ञानिकों ने सीसे को सोने में बदला

ज्यूरिख, एजेंसी। वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत उपलब्धि हासिल की है। वे भारी धातु सीसे को सोने में बदलने में कामयाब रहे हैं। स्विट्जरलैंड स्थित यूरोप के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संगठन सीईआरएन में एलाइस परियोजना के तहत यह संभव हो पाया है। विज्ञान पत्रिका फिजिकल रिवीव सी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने सीसे के बहुत छोटे-छोटे कणों (जिन्हें नाभिक कहते हैं) को लगभग रोशनी की रफ्तार से एक-दूसरे से बहुत तेज टकराया। जब ये कण टकराए, तो सीसे के नाभिक से तीन कण (प्रोटॉन) बाहर निकल गए। सीसे के नाभिक में 82 प्रोटॉन होते हैं। अगर इसमें से 3 प्रोटॉन निकाल दिए जाएं, तो 79 प्रोटॉन बचते हैं और इतने ही प्रोटॉन सोने के नाभिक में होते हैं।

यानी, टक्कर के बाद वह नाभिक सीसे से बदलकर सोने जैसा हो गया। वैज्ञानिकों ने बताया, जब टक्कर हुई, तो उसमें बहुत ज्यादा बिजली और चुंबक का बल (इसे विद्युत-चुंबकीय बल कहते हैं) पैदा हुआ। इस बल ने तीन प्रोटॉन को नाभिक से बाहर निकाल दिया। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिसोसिएशन कहते हैं। मतलब कि तेज चुंबकीय बल के जोर से कोई चीज टूट जाए। हालांकि, यह सोना अत्यंत अस्थिर होता है और एक सेकंड के अति सूक्ष्म अंश में विघटित हो जाता है, जिससे इसे व्यावसायिक रूप से उपयोग करना संभव नहीं है। इस तरह मिली सफलता 2015 से 2018 के बीच, वैज्ञानिकों ने करीब 86 अरब बार सीसे को सोने में बदलने की कोशिश की जिसमें कामयाबी तो मिली लेकिन बहुत सीमित। इस दौरान सिर्फ 29 पिकोग्राम सोना बना। पिकोग्राम यानी एक ग्राम का एक लाख करोड़वां हिस्सा होता है, जिसे आंखों से देख भी नहीं सकते। अब जब यह प्रयोग सफल हो गया है, तो वैज्ञानिक हर सेकंड करीब 89 हजार सोने के कण बना रहे हैं, जिन्हें आंखों से देखा जा सकता है। ब्रह्मांड के राज खोलने में मदद मिलेगी यह प्रयोग सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि ब्रह्मांड की शुरुआत को समझने में भी मदद करता है। जब सीसे के कण एक-दूसरे से टकराते हैं, तो एक क्वार्क-ग्लूऑन प्लाज्मा (क्यूजीपी) नामक चीज बनती है। यह क्यूजीपी उस समय की स्थिति को दर्शाता है, जब बिग बैंग (ब्रह्मांड की शुरुआत) के तुरंत बाद ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था, सिर्फ गर्म और घना पदार्थ था। इससे वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिलती है कि ब्रह्मांड कैसे शुरू हुआ और उस समय क्या हालात थे। इस शोध के जरिए वे यह जान सकते हैं कि ब्रह्मांड के प्रारंभिक समय में क्या घटित हुआ था और कैसे समय के साथ यह विकसित हुआ।

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