अशोका यूनिवर्सिटी प्रो. महमूदाबाद को मिली अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने के आरोप में अंतरिम जमानत दी। कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी को जांच के लिए विशेष...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर टिप्पणी के आरोप में गिरफ्तार किए गए अशोका यूनिवर्सिटी के प्रो. अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि, कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच पर रोक से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हरियाणा के डीजीपी को प्रो. महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच के लिए 24 घंटे के भीतर विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया। एसआईटी मामले की संवेदनशीलता और पोस्ट की भाषा को समझने बाद मामले में क्या कार्रवाई की जाए, इस बारे में रिपोर्ट देगी।
इससे पहले, जस्टिस सूर्यकांत ने प्रो. महूदाबाद के पोस्ट पर सवाल उठाए। कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति वाले समाज के लिए यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जानबूझकर शब्दों का चयन अपमान करने और दूसरे पक्ष को असहज करने के लिए किया जाता है। प्रो. महमूदाबाद के पास टिप्पणी करने के लिए शब्दकोश में शब्दों की कमी नहीं होनी चाहिए। वे ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे दूसरों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे और तटस्थ भाषा का इस्तेमाल करें। यह भी कहा कि अंतरिम जमानत मामले में आगे की जांच को सुविधाजनक बनाने के लिए दी गई है। --------------- सस्ती लोकप्रियता पाने की क्या जरूरत : जस्टिस सूर्यकांत - प्रो. महमूदाबाद को राहत देते हुए की टिप्पणी - सिब्बल बोले- प्रोफेसर का आपराधिक इरादा नहीं नई दिल्ली, विशेष संवाददाता प्रो. अली खान महमूदाबाद को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने बुधवार को कहा कि सभी को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। पर, क्या यह सब बात करने का समय आ गया है। देश पहले से ही इन सब से गुजर रहा है और देश ने इन सबका सामना किया है। कहा कि राक्षसों ने आकर हमारे लोगों पर हमला किया। हमें एकजुट होना होगा। इसलिए, ऐसे मौके पर सस्ती लोकप्रियता पाने की क्या जरूरत है? न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने यह टिप्पणी तब की जब कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने आरोपी बनाए गए प्रोफेसर का बयान पढ़ा। साथ ही कहा कि उनके मुवक्किल का कोई आपराधिक इरादा या सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश नहीं है। अंतरिम जमानत दिए जाने के बाद सिब्बल ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ इस मामले से संबंधित कोई और मुकदमा दर्ज करने पर रोक लगाई जाए। यह भी बताया कि अब महिला आयोग ने भी इस घटना पर संज्ञान ले लिया है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक तौर पर हरियाणा पुलिस को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिया और सिब्बल से कहा कि आगे कुछ नहीं होगा। हालांकि, हरियाणा सरकार को जांच के दौरान किसी भी अन्य आपत्तिजनक सामग्री को रिकॉर्ड में रखने की स्वतंत्रता दी गई। ‘महिला अधिकारियों के अपमान वाला बयान कहां हरियाणा पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत याचिका का विरोध किया। कहा कि याचिकाकर्ता ने महिला सैन्य अधिकारी का अपमान किया है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह बयान कहां है, जिसमें उन्होंने महिला अधिकारियों का अपमान किया है? वकील द्वारा तैयार की गई कोई बात हमें दिखाइए कि उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों का अपमान कहां किया है। अगर ऐसा है तो यह गंभीर है। इस पर राजू ने कहा कि मुझे याचिका देखने दीजिए। उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी पर कुछ टिप्पणियां कीं हैं। अंतरिम जमानत की शर्तें सुप्रीम कोर्ट ने प्रो. महमूदाबाद को सोनीपत के संबंधित अदालत में अपना पासपोर्ट और मुचलका जमा कराने को कहा है। साथ ही उन पर इस संबंध में कोई भी पोस्ट या लेख लिखने या भारतीय धरती पर आतंकी हमले या भारत द्वारा दी गई जवाबी प्रतिक्रिया के संबंध में कोई राय/टिप्पणी देने पर रोक लगा दी गई है। हरियाणा-दिल्ली से बाहर के अधिकारी एसआईटी में शीर्ष अदालत ने हरियाणा के डीजीपी को मामले की जांच के लिए गठित होने वाले एसआईटी में हरियाणा या दिल्ली कैडर से बाहर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को शामिल करने को कहा है। एसआईटी में एक महिला अधिकारी को होगी। एसआईटी की अगुवाई आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे और उसमें अन्य दो सदस्य पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी होंगे। हरियाणा पुलिस को मानवाधिकार आयोग का नोटिस नई दिल्ली, एजेंसी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बुधवार को कहा कि उसने एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी और उन्हें हिरासत में भेजे जाने के मामले में हरियाणा के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है। आयोग ने एक सप्ताह के भीतर मामले में रिपोर्ट भी मांगी है। आयोग ने कहा है कि उसने इस गिरफ्तारी से संबंधित खबर का 'स्वत: संज्ञान' लिया है। खबर से प्रतीत होता है कि प्रोफेसर के मानवाधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया है। इसी के आधार पर हरियाणा के डीजीपी को नोटिस जारी किया गया है।
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