फर्जी प्रमाण पत्र वाले साधन सेवी पर अब तक कार्रवाई नहीं
फर्जी प्रमाण पत्र वाले साधन सेवी पर अब तक कार्रवाई नहीं फर्जी प्रमाण पत्र वाले साधन सेवी पर अब तक कार्रवाई नहीं फर्जी प्रमाण पत्र वाले साधन सेवी पर अब

जमुई, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। फर्जी जाति और आवासीय प्रमाण पत्र पर साधन सेवी के रूप में तैनात सुमन सौरभ पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जब मामला डीएम अभिलाषा शर्मा के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच का आदेश दिया था। लगा कि निष्पक्ष जांच होने के बाद बड़ी कार्रवाई होगी। पर अब तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पहले जांच में तो जांच अधिकारियों की कृपा सुमन सौरभ पर खूब हुई और जांच अधिकारी ने उन्हें क्लीन चिट दे दिया। दरअसल सितंबर 2012 में सौरभ शेखर साधन सेवी के रूप में जमुई में आवेदन दिया था और उन्हें अनुबंध पर बहाल किया गया।
आवेदन में फर्जी जाति और आवासीय प्रमाण पत्र संलग्न गया था। इस बात को लेकर प्रीति विश्वकर्मा ने शिकायत किया था। न्यायालय तक जाने की बात कही थी। सुमन सौरभ का घर नालंदा जिला के हिलसा में है। उनके द्वारा अनुबंध पर बहाली के लिए जाति प्रमाण पत्र में कहार जाति का बताया गया जबकि आवासीय प्रमाण पत्र जमुई जिले के चकाई प्रखंड अंतर्गत जलखरिया गावं का था। आवासीय प्रमाण पत्र उनके अनुबंध पर बहाल होने के साढे तीन माह बाद का पाया गया। सुमन सौरभ ने अपने पिता रमेश प्रसाद के नाम पर 12 डिसमिल जमीन की खरीदारी चकाई प्रखंड में जलखारिया गांव के अमीर दास से किया था। जिस जाति प्रमाण पत्र पत्र पर सुमन सौरव को अनुबंध पर बहाल किया गया था उसमें उसकी जाति को कहार बताया गया। प्रीति विश्वकर्मा का कहना था कि आरक्षण के नाम पर एक अतिपिछड़े की हकमारी हुई है। जब इस बात की शिकायत जिला अधिकारी अभिलाषा शर्मा से की गई तो उन्होंने जांच का आदेश दिया। जांच में चकाई के अंचल अधिकारी, राजस्व कर्मचारी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। आज भी सुमन सौरव या उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति का नाम जलखरिया के मतदाता सूची में शामिल नहीं है। इतना बड़ा फर्जीवाड़ा होने के बावजूद किस आधार पर जांच अधिकारी ने क्लीन चिट दे दी यह सवालों के घेरे में है। हद तो तब हो गई जब जिलाधिकारी अभिलाषा शर्मा ने पुन: जांच की बात कही थी। उसके बावजूद अब तक जांच की प्रक्रिया एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। 12 वर्षों में जिले के साधन सेवी कई बार विवादों को ले चर्चा में रहा है। जब शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने अपना नाम बदलकर कुछ और बता दिया। सौरभ शेखर की सेवा का विस्तार लगातार मिलना मध्यान भोजन चयन समिति एवं अध्यक्ष सहित सदस्यों को कटघरे में खड़ा करता है। देखने वाली बात होगी कि जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद कब गहन जांच शुरू होती है और उसका फलाफल क्या निकलता है? प्रीति विश्वकर्मा के आरोप पर सुमन सौरव का कहना है कि उन्हें बेवजह फंसाए जाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने अनुबंध पर बहाली के लिए आवेदन पत्र के साथ जो प्रमाण पत्र दिया था वह सही है।
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