लाला किला पर महिला की मालिकाना हक का दावा खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सुल्ताना बेगम की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने लाल किला पर मालिकाना हक का दावा किया था। उन्होंने खुद को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का कानूनी उत्तराधिकारी बताया था।...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजधानी दिल्ली स्थित ऐतिहासिक ‘लाल किला पर मालिकाना हक देने की मांग को लेकर अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर-द्वितीय के प्रपौत्र की विधवा होने का दावा करने वाली महिला सुल्ताना बेगम की याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में महिला ने खुद को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का कानूनी उत्तराधिकारी होने का दावा करते हुए लाल किले पर कब्जा देने की मांग की थी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका को निराधार बताते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत धारणा पर आधारित है।
पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुल्ताना बेगम की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि ‘शुरू में रिट याचिका दाखिल की गई थी जो गलत और निराधार है। इस पर विचार नहीं किया जा सकता। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की सदस्य हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना कहा कि ‘यदि दलीलों पर विचार किया जाए तो सिर्फ लाल किला ही क्यों, फिर आगरा, फतेहपुरी सीकरी आदि के किले क्यों नहीं? इसके साथ ही, पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले साल 13 दिसंबर को बेगम द्वारा दिसंबर 2021 में उच्च न्यायालय के ही एकलपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अपील को खारिज कर दिया था। खंडपीठ ने कहा था कि अपील 2 साल से अधिक की देरी से दाखिल की गई थी, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि अपीलकर्ता ने कहा था कि वह अपने खराब स्वास्थ्य और बेटी के निधन के कारण समय से अपील दाखिल नहीं कर पाई। उच्च न्यायालय के एकलपीठ ने 20 दिसंबर, 2021 को लाल किला पर कब्जा और मालिकाना हक देने की मांग वाली सुल्ताना बेगम की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में, महिला ने खुद को अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के प्रपौत्र की विधवा होने का दावा किया और कहा कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अवैध रूप से लाल किला पर कब्जा लिया था। उन्होंने अदालत ने लाल किला का मालिकाना हक और कब्जा देने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का रुख करने और इसमें हुई अत्यधिक देरी को लेकर याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायसंगत स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया था, जिसके बाद बादशाह को देश से निर्वासित कर दिया गया था और लाल किले का कब्जा मुगलों से जबरदस्ती छीन लिया गया था। इसमें दावा किया गया है कि सुल्ताना बेगम लाल किले की मालिकिन थीं क्योंकि उन्हें यह उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर-द्वितीय से विरासत में मिला था, जिनकी मृत्यु 11 नवंबर, 1862 को 82 वर्ष की आयु में हुई थी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।