घर खरीदारों को बिल्डर के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के शांतिपूर्ण विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी और बिल्डर द्वारा दायर मानहानि की शिकायत को खारिज कर दिया। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि घर खरीदारों ने अपने विचार व्यक्त करने...

- घर खरीदारों के खिलाफ बिल्डर के मानहानि की शिकायत खारिज नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि घर खरीदारों को बिल्डरों के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने बिल्डर द्वारा घर खरीदारों के खिलाफ मानहानि की शिकायत को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने फ्लैट मालिकों की ओर से मानहानि के मामले में जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया है। मुंबई में फ्लैट खरीदारों के खिलाफ बिल्डर ने मानहानि का मुकदमा दाखिल किया था, जिसे शीर्ष अदालत ने रद्द कर दिया है। पीठ ने कहा कि घर खरीदारों को एक उपभोक्ता के रूप में शांतिपूर्ण विरोध करने का अधिकार है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं का अधिकार है। पीठ ने यह भी कहा कि मानहानि की शिकायत को खारिज करने की मांग करने वाली याचिका में, हाईकोर्ट यह जांच कर सकता है कि मानहानि के अपराध के अपवाद बनाए गए हैं या नहीं।
जस्टिस पारदीवाला ने कहा, ‘शीर्ष अदालत ने अपने कई फैसले को यह माना है कि यह न्यायालय इस बात की जांच कर सकता है कि क्या सीआरपीसी की धारा 482 के स्तर पर भी 499 का कोई अपवाद लागू होता है? यह मुद्दा तब उठा जब मेसर्स श्रुति डेवलपर्स प्रा. लि. ने कुछ घर खरीदारों के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने हिंदी और अंग्रेजी में बैनर लगाए। इनमें बिल्डर के खिलाफ झूठे, तुच्छ और अपमानजनक बयान थे।
बिल्डर की ओर से दाखिल मानहानि की शिकायत पर 2016 में मुंबई के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने घर खरीदारों को समन जारी किया था। सत्र न्यायालय और बॉम्बे हाईकोर्ट ने समन को बहाल रखा था। इसके बाद घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी।
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शीर्ष अदालत की टिप्पणी
शीर्ष अदालत ने मानहानि के मामले को रद्द करते हुए कहा, ‘पीड़ित फ्लैट खरीदारों द्वारा लगाए गए बैनरों में किसी भी प्रकार की अभद्र या असंयमित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था। भाषा संचार का एक माध्यम है और पोस्टरों में केवल उनकी शिकायत को उजागर किया गया था और भाषा को घर के मालिकों द्वारा सावधानीपूर्वक चुना गया था। आदेश में कहा गया है कि यदि इस्तेमाल की गई भाषा में सीमाएं पार की गई थीं, तो यह तय करना महत्वपूर्ण था। पीठ ने कहा कि हमने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने के अधिकार पर चर्चा की है और यह विरोध शांतिपूर्ण तरीके से किया गया था, इसलिए लक्ष्मण रेखा पार नहीं की गई और उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही प्रक्रिया का दुरुपयोग होगी।
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