किसान नहीं दे रहे जमीन,नोएडा की कई योजनाएं अधर में लटकीं, कहां फंसा पेच?
ऐसे में बीते दो से लेकर सात सालों में अलग-अलग बार में नोएडा-ग्रेनो के आसपास व नोएडा के आंतरिक हिस्सों में स्थित आठ गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजा था।

किसानों से जमीन नहीं मिल पाने के कारण नोएडा प्राधिकरण योजनाएं नहीं ला पा रहा। इसके कारण औद्योगिक सेक्टर नहीं बस पा रहे। शासन के निर्देश के बाद भी लैंड बैंक बनाने में सफलता नहीं मिल पा रही है। बीते सात साल के दौरान आठ गांवों की 215 प्वाइंट 3642 हेक्टेयर जमीन की अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। इसके अलावा सरकारी जमीनों पर कब्जों से भी रूकावट आ रही है। नोएडा 81 गांवों की जमीन पर बसा हुआ है।
इसकी स्थापना 17 अप्रैल 1976 को हुई थी। बीते 49 सालों में अधिकांश गांवों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया हो चुकी है। अब नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के कुछ गांवों के अलावा शहर के आंतरिक हिस्से में स्थित पुराने गांवों के कुछ हिस्से जमीन अधिग्रहण के लिए बचे हुए हैं। एक्सप्रेसवे के आसपास के गांवों की जमीन पर ही अब नए औद्योगिक सेक्टर बसाए जाने प्रस्तावित हैं। कुछ योजनाएं भी इन्हीं जगह लानी हैं।
खास बात यह है कि पहले प्राधिकरण ने किसानों से आपसी सहमति से जमीन लेने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुआ। ऐसे में बीते दो से लेकर सात सालों में अलग-अलग बार में नोएडा-ग्रेनो के आसपास व नोएडा के आंतरिक हिस्सों में स्थित आठ गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजा था। बीते दो साल में एक भी गांव की जमीन अधिग्रहण पूरी नहीं हो सकी है। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी क्रांति शेखर ने बताया कि जिला प्रशासन के जरिए धारा-4, धारा-6 सहित अन्य प्रक्रियाएं चल रही हैं। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कराने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों से लगातार संपर्क में हैं।
पांच गांवों में शुरुआती प्रक्रिया तक नहीं हुई
जमीन अधिग्रहण के लिए शुरुआती प्रक्रिया के तहत धारा-4 के तहत संबंधित गांवों का सर्वे किया जाता है। सर्वे रिपोर्ट में मौके पर किस-किस के घर हैं और बाकी जमीन पर क्या स्थिति समेत अन्य काम किए जाते हैं। इसमें जमीन की खरीद-फरोख्त प्रक्रिया में अस्थाई रूप से रोक लगा दी जाती है। इसके बाद धारा-6 में स्थाई रूप से खरीद-फरोख्त पर रोक लगाते हुए संबंधित खसरा नंबर की जानकारी निबंधन विभाग को भी भेज दी जाती है ताकि वहां पर कोई रजिस्ट्री नहीं करा पाए। खास बात यह है कि वाजिदपुर, सलारपुर खादर, मामूरा, गुलावली और दोस्तपुर मंगरौली गांव में अभी तक उपरोक्त प्रक्रिया तक नहीं हो सकी हैं। बाकी तीन गांव कोंडली बांगर, बादौली बांगर और कामबख्शपुर में एसआईए का प्रकाशन हो चुका है। इसके आगे भी कुछ प्रक्रिया हो चुकी है।
लैंड बैंक बनाने में आ रही दिक्कत
महत्वपूर्ण यह है कि शासन से लगातार लैंड बैंक बनाने के निर्देश नोएडा प्राधिकरण को दिए जा रहे हैं। लेकिन मौके पर यह काम प्राधिकरण के लिए मुश्किल नजर आ रहा है। प्राधिकरण को जमीन नही मिल पा रही है। इससे औद्योगिक, संस्थागत, व्यावसायिक भूखंडों की योजना नहीं आ पा रही है। इसके अलावा आम लोगों की सुविधा के लिए भी कोई नई योजना को प्राधिकरण नहीं ला पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि लैंड बैंक उपलब्ध नहीं होने पर निवेशकों द्वारा निवेश किए जाने से नोएडा में रोजगार एवं विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।
सलारपुर में पहले निरस्त, दोबारा भेजा
सलारपुर की जमीन का करीब 12-15 साल पहले अधिग्रहण हो गया था। लेकिन कुछ किसानों के न्यायालय चले जाने के कारण यह अधिग्रहण रद हो गया था। ऐसे में प्राधिकरण दोबारा अधिग्रहण की प्रक्रिया कर रहा है हालांकि अब सलारपुर की अधिकांश सरकारी जमीन पर कब्जा होकर कॉलोनियां कट चुकी हैं।
12 से अधिक औद्योगिक भूखंड के लिए जमीन नहीं
नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेसवे के पास सेक्टर-162, 164, 165, 166, 167 आदि औद्योगिक सेक्टर के रूप में विकसित किए जा रहे हैं। इन सेक्टरों में करीब 12 भूखंड की योजना लाने की तैयारी प्राधिकरण कर रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि प्रयास है कि इसी महीने भूखंडों की योजना लॉन्च कर दी जाए। अधिकारियों का कहना है कि इनके अलावा बाकी औद्योगिक भूखंड की योजना लाने के लिए इस समय प्राधिकरण के पास जमीन कब्जे में नहीं है।