लेफ्टिनेंट नरवाल की जगह मुझे भी लग सकती थी गोली; दिल्ली लौटे पर्यटक ने सुनाई खौफनाक मंजर की दास्तां
कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों समेत 26 लोगों की निर्मम हत्या के बाद बुधवार को जब श्रीनगर से एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट पर दोपहर करीब 3:30 बजे उतरी, तो 190 से ज्यादा डर-सहमे पर्यटक बाहर निकले।

कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों समेत 26 लोगों की निर्मम हत्या के बाद बुधवार को जब श्रीनगर से एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट पर दोपहर करीब 3:30 बजे उतरी, तो 190 से ज्यादा डर-सहमे पर्यटक बाहर निकले। इनमें से कई लोग आतंकी हमले को लेकर अब भी दहशत में थे। पर्यटकों में जयपुर का नवविवाहित जोड़ा, गुरुग्राम के आईटी प्रोफेशनल और उनका परिवार, हैदराबाद के एक पुजारी और मुंबई के दो दोस्त शामिल थे, जिन्हें मीडिया कर्मियों ने घेर लिया।
50 मीटर की दूरी पर एक आदमी को मरते देखा
टर्मिनल 3 से सबसे पहले बाहर निकलने वालों में जयपुर का कोमल और मिहिर सोनी नामक जोड़ा था, जो हनीमून मनाने कश्मीर गया था। मंगलवार को जब वे बैसरन घाटी (पहलगाम के ऊपर एक हरे-भरे अल्पाइन घास के मैदान) पर मौजूद थे उस समय उन्होंने गोलीबारी को देखा। रोते हुए 25 साल की कोमल ने कहा, "मैं मैगी खा रही थी जब मैंने एक आदमी को देखा, फिर गोली चलने की आवाज सुनी। दुकानदार ने मुझसे कहा कि कुछ नहीं है, लेकिन फिर और गोलियां चलीं। एक आदमी दुकान की ओर भागा और दूसरे आदमी पर गोली चलाई। वह हमसे केवल 50 मीटर की दूरी पर मारा गया। हम सभी नीचे झुक गए, अपनी जान की दुआ कर रहे थे। जब लोग भागने लगे, तो हम भी उनके पीछे हो लिए।"
मुझे भी लग सकती थी गोली
कोमल के 26 साल के पति मिहिर ने घटना को याद करते हुए कहा, "मैं उसी भेलपुरी स्टॉल पर था, जहां लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को गोली मारी गई थी। मैं चंद मिनट पहले ही वहां से निकला था। मैंने उन्हे देखा। उनकी जगह मुझपर भी गोली चल सकती थी। गोलीबारी 10-20 मिनट तक चलती रही। हमने चीखें सुनीं, एक आदमी को खून से लथपथ देखा। नरवाल की पत्नी पास में ही सदमे में थी।" करनाल के 26 वर्षीय नौसेना अधिकारी नरवाल मंगलवार दोपहर आतंकवादियों द्वारा मारे गए 26 लोगों में शामिल थे। दोपहर 2.30 बजे आतंकवादियों के गोलीबारी शुरू करने से ठीक पहले कोमल और मिहिर सोनी पर्यटकों की भीड़ के साथ बैसरन पहुंचा था।
सोशल मीडिया पर खबर देखी
कश्मीर से वापस लौटने वाले अन्य पर्यटकों में गुरुग्राम के 33 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल अभिषेक काकरान भी शामिल थे, जो अपने पांच सदस्यीय परिवार के साथ गए थे। उन्होंने बताया कि जब हमला हुआ, तब वे अरु से बैसरन जा रहे थे। उन्होंने कहा, "जब हम वापस लौटे, तब हम सिर्फ एक किलोमीटर दूर थे। जब तक हम पहलगाम नहीं पहुंचे, तब तक हमें समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है। मेरे फोन पर दर्जनों मिस्ड कॉल थे। सोशल मीडिया पर मैंने खबर देखी - कई लोग मारे गए थे।"
बैसरन तक ट्रेकिंग की
मुंबई के ठाणे जिले के दो दोस्त अय्यूब पीरजादी और मोहम्मद इस्माइल हमले से एक दिन पहले बैसरन तक ट्रेकिंग करके गए थे। पीरजादी ने कहा, "जब खबर आई तो हम पहलगाम शहर में थे। हम उसी जगह गए थे जहां 20 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हमारा परिवार परेशान था। श्रीनगर एयरपोर्ट पर, बहुत भीड़ थी। कुछ लोगों ने 10 से 16 घंटे तक इंतजार किया। कोई भी रुकना नहीं चाहता था। हर कोई बस वहां से निकलना चाहता था।"