शनि जयंती पर शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनिदेव को तेल से स्नान कराने के बाद शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें। यह उपाय साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करता है और शनिदेव की कृपा दिलाता है।
मंगलवार को शनि जयंती का संयोग होने से भैरव मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत फलदायी है। बाबा भैरव की पूजा और दीप प्रज्वलन से शनिदेव का प्रकोप शांत होता है। यह उपाय विशेष रूप से साढ़ेसाती वालों के लिए कारगर है।
साढ़ेसाती से पीड़ित लोग शनि जयंती की शाम पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि यह उपाय मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याओं को कम करता है, साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी दिलाता है।
शनि जयंती पर हनुमान मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड या बजरंग बाण का पाठ करें। हनुमान जी की आराधना शनिदेव को प्रसन्न करती है और साढ़ेसाती के दोषों से मुक्ति दिलाती है। मंगलवार का संयोग इस उपाय को और शक्तिशाली बनाता है।
शनि जयंती की रात घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी का आगमन होता है और शनिदेव प्रसन्न होकर सुख-शांति प्रदान करते हैं।
शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या पर आती है। इस रात किसी नदी, तालाब, या सरोवर में दीपदान करें। यह पितरों को प्रसन्न करता है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देता है। सरसों के तेल का दीपक विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
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