दही पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन जैसी कई फायदेमंद चीजें होती हैं। साथ ही यह प्रोबायोटिक है यानी इसमें गुड बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो हमारी सेहत के लिए काफी अच्छे होते हैं। इतने सारे फायदे होने के बाद भी आयुर्वेद रोजाना दही खाने से परहेज की सलाह देता है। यहां आप जान सकते हैं कि आपको दही कैसे खाना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा फायदे मिलें।
आयुर्वेद में दही को खाने का अहम हिस्सा बताया गया है। पोषक तत्वों से भरपूर होने के बाद भी इसे गलत तरह से खाने के नुकसान हो सकते हैं। आयुर्वेद में खाने के बाद दही खाने पर मनाही होती है। सलाह दी जाती है कि इसे खाने के दो घंटे पहले खाएं।
दही को कभी गर्म करके नहीं खाएं। दही से बनी चीजों को गर्म करने से यह बॉडी में इनफ्लेमेशन बढ़ाता है।
आयुर्वेद में दही रात में खाने पर मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि रात में दही खाने से कफ दोष बढ़ता है। इससे म्यूकस ज्यादा बनता है। जिन्हें एलर्जी या खांसी आने जैसी समस्या रहती है उन्हें भी रात में दही खाने से बचना चाहिए। दही खाने का सही समय सुबह और दोपहर है।
आयुर्वेद में रोजाना दही खाने से भी मना किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि दही भारी होता है। इसे रोज खाने से डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
आयुर्वेद में दही को गर्म माना जाता है इसलिए इसे गर्मियों में ज्यादा न खाने की सलाह दी जाती है। इसके बजाय छाछ लेना फायदेमंद है।
महिलाओं को अगर हैवी पीरियड्स हैं या नाक से ब्लीडिंग की समस्या है तो भी खाने में दही लेने से बचना चाहिए।
मूंग की दाल, चीनी, शहद आंवला और घी के साथ दही खाने से फायदा होता है। वहीं फलों के साथ दही को मिलाकर खाने की मनाही होती है। इसके आयुर्वेद दही को मछली या मीट के साथ न खाने की सलाह देता है।