साल 1997 में बडगाम जिले के संग्रामपुरा गांव में 8 निर्दोष नागरिकों को आतंकियों ने गोली मार दी।
गणतंत्र दिवस की रात 1998 में श्रीनगर के वंधामा गांव में 23 कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया गया। इस हमले ने देशभर में सनसनी फैला दी।
उधमपुर (अब रियासी जिला) के दो गांवों में 29 हिंदुओं को साल 1998 में मौत के घाट उतारा गया, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। कुछ के सिर तक काट दिए गए।
डोडा जिले के छपनारी गांव में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने साल 1998 में 26 हिंदुओं की हत्या कर दी।
साल 2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे के एक दिन पहले अनंतनाग के छिट्टीसिंहपुरा गांव में 35 सिखों को कत्ल कर दिया गया।
साल 2000 में अनंतनाग और डोडा जिलों में पांच जगहों पर सिलसिलवार हमलों में 105 लोग मारे गए, जिनमें 32 अमरनाथ यात्री और मजदूर शामिल थे।
राजौरी जिले के चालवालकोट गांव में 15 बकरवाल (घुमंतू समुदाय) के लोगों को साल 2001 में आतंकियों ने मार डाला।
पाकिस्तान से आए तीन आतंकियों ने साल 2002 में जम्मू-पठानकोट हाइवे पर बस में 7 यात्रियों को मारा और फिर कालूचक सैन्य स्टेशन पर हमला कर 23 लोगों को मार डाला, जिनमें 10 बच्चे और 5 सैनिक भी थे।
साल 2002 में ही लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पहलगाम स्थित नुनवान बेस कैंप पर दो बार हमला किया, जिसमें कुल 11 श्रद्धालु मारे गए और 30 घायल हुए थे।
पुलवामा जिले के नादीमार्ग गांव में साल 2003 में 24 कश्मीरी पंडितों को आतंकियों द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया।
श्रावण मास के पहले सोमवार को अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हमला हुआ जिसमें 8 श्रद्धालु मारे गए। यह हमला साल 2017 में हुआ था।
साल 2023 में राजौरी जिले के डांगरी गांव में दो आतंकवादियों ने गोलीबारी और आईईडी ब्लास्ट में 7 हिंदू नागरिकों की जान ली, जिनमें दो नाबालिग थे।
बीते साल शिव खोड़ी से कटरा लौट रही एक श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों ने हमला किया। इस हमले में 9 श्रद्धालु मारे गए और 42 घायल हुए।