पहले सर्वदलीय बैठक, फिर विशेष विधानसभा सत्र; पानी पर आर-पार के मूड में पंजाब की मान सरकार
आप की पंजाब इकाई के प्रमुख अमन अरोड़ा ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि वह पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों के साथ लगातार विश्वासघात और शोषण कर रही है।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त 8,500 क्यूसेक पानी देने के फैसले के बाद पंजाब-हरियाणा के बीच जल विवाद और गहरा गया है। इस फैसले के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार, 2 मई को सुबह 10 बजे एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है। इसके साथ ही, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 5 मई को पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र भी आयोजित किया जाएगा।
ये निर्णय आप के मंत्रियों, विधायकों और अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं की बैठक में लिए गए। इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और मुख्यमंत्री भगवंत मान भी शामिल हुए। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आप की पंजाब इकाई के प्रमुख अमन अरोड़ा ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की कड़ी निंदा की और आरोप लगाया कि वह पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों के साथ लगातार विश्वासघात और शोषण कर रही है।
अरोड़ा ने कहा कि बीबीएमबी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले और भाखड़ा व पौंग बांधों से जल वितरण को नियंत्रित करने वाले पंजाब को अपने पानी को हरियाणा की ओर अनुचित तरीके से मोड़ने के प्रयासों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा, जिसे पहले से ही आवंटित 1,700 क्यूसेक के मुकाबले 4,700 क्यूसेक पानी मिल रहा है, अब पंजाब के उचित हिस्से की अतिरिक्त "चोरी" के प्रयास में है।
बीबीएमबी के फैसले पर पंजाब का कड़ा रुख
बीबीएमबी ने बुधवार देर रात अपनी तकनीकी समिति की पांच घंटे की बैठक में हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का फैसला लिया, जिसका पंजाब सरकार ने कड़ा विरोध किया। पंजाब का दावा है कि हरियाणा ने अपनी आवंटित हिस्सेदारी का 103 प्रतिशत पानी पहले ही इस्तेमाल कर लिया है, जबकि पंजाब स्वयं पानी की कमी से जूझ रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस फैसले को "पंजाब के अधिकारों की लूट" करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने बीबीएमबी पर "हरियाणा के हितों को प्राथमिकता देने" और केंद्र सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया।
नंगल डैम पर बढ़ाई गई सुरक्षा, प्रदर्शन तेज
इस विवाद के बीच, पंजाब सरकार ने भाखड़ा नंगल डैम के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। पंजाब पुलिस ने डैम पर भारी संख्या में बल तैनात किए हैं, और पानी के वितरण को नियंत्रित करने वाले कक्ष को बंद कर उसकी चाबी पुलिस को सौंप दी गई है। आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं ने राज्य भर में बीबीएमबी और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए।
पंजाब का तर्क: डैम में पानी का स्तर चिंताजनक
पंजाब सरकार ने दावा किया कि भाखड़ा, पोंग, और रणजीत सागर डैम में पानी का स्तर पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम है। मुख्यमंत्री मान के अनुसार, भाखड़ा डैम का जल स्तर 1,555 फीट है, जो पिछले साल 1,566.48 फीट था। इसी तरह, पोंग डैम में जल स्तर 1,293 फीट (पिछले साल 1,325.29 फीट) और रणजीत सागर डैम में 502 मीटर (पिछले साल 506.13 मीटर) है। पंजाब का कहना है कि वह अपने किसानों और लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पहले ही पानी की कमी का सामना कर रहा है।
हरियाणा का दावा: हमें हमारा हक चाहिए
दूसरी ओर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब पर "गंदी राजनीति" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हरियाणा को केवल अपनी जरूरत का पानी चाहिए, और यदि भाखड़ा डैम से अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ा गया तो वह हरिके-पट्टन के रास्ते पाकिस्तान चला जाएगा। सैनी ने दावा किया कि बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को दिए गए पानी का एक हिस्सा दिल्ली, राजस्थान, और यहां तक कि पंजाब को भी जाता है।
बीबीएमबी में प्रशासनिक फेरबदल, पंजाब ने जताई आपत्ति
इस बीच, बीबीएमबी ने नंगल में जल नियमन निदेशक आकाशदीप सिंह को हटाकर हरियाणा कैडर के अधिकारी संजीव कुमार को यह जिम्मेदारी सौंप दी है। पंजाब सरकार ने इस फेरबदल को "हरियाणा के हितों को बढ़ावा देने की साजिश" करार देते हुए तत्काल रद्द करने की मांग की है। पंजाब के मुख्य अभियंता ने बीबीएमबी अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा कि संजीव कुमार को जल नियमन का अनुभव नहीं है।
विपक्ष का रुख
पंजाब में कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने भी बीबीएमबी के फैसले की निंदा की और कहा कि पंजाब एक बूंद अतिरिक्त पानी किसी अन्य राज्य को नहीं देगा। उन्होंने मुख्यमंत्री मान से तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की थी, जिसे अब लागू किया जा रहा है।
सर्वदलीय बैठक में पंजाब सरकार इस मुद्दे पर एकजुट रुख अपनाने और केंद्र सरकार के खिलाफ कानूनी व राजनीतिक कदम उठाने पर विचार करेगी। विशेष विधानसभा सत्र में इस मामले पर विस्तृत चर्चा और संभवतः एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। पंजाब का कहना है कि वह अपने जल संसाधनों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा।
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