3 womens named thier children on operation sindoor as sindoor 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर 3 मांओं ने रखे बच्चों के नाम, झुंझुनू की महिलाओं ने कारण भी बताया, Rajasthan Hindi News - Hindustan
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'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर 3 मांओं ने रखे बच्चों के नाम, झुंझुनू की महिलाओं ने कारण भी बताया

राजस्थान के झुंझुनू जिले में महिलाओं ने पाकिस्तानी आतंकियों पर हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर अपने बच्चों का नाम रख दिया है। महिलाओं ने इसकी वजह भी बताई है।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, झुंझुनूSat, 10 May 2025 01:32 PM
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'ऑपरेशन सिंदूर' के नाम पर 3 मांओं ने रखे बच्चों के नाम, झुंझुनू की महिलाओं ने कारण भी बताया

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ के सरकारी अस्पताल में देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण का एक अनोखा उदाहरण सामने आया है। हाल ही में यहां तीन नवजात शिशुओं का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया है। यह नाम भारतीय सेना के उस साहसिक ऑपरेशन से प्रेरित है, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में चलाया गया। इस मिशन का नाम था ‘ऑपरेशन सिंदूर'।

बेरी गांव की सीमा, झाझड़ की संजू और कसैरू गांव की कंचन- इन तीनों प्रसूताओं ने अपने नवजातों को सिंदूर नाम देकर यह संदेश दिया है कि उनका सपना है कि उनके बच्चे बड़े होकर देश की सेवा करें। सीमा ने कहा किहमारी मां-बहनों का सिंदूर उजड़ गया, लेकिन भारतीय सेना ने इसका जवाब दिया। मेरा बेटा भी उसी साहस से प्रेरित हो, इसलिए उसका नाम सिंदूर रखा।

सीमा की बुआ सास दीपा सैनी ने कहा कि प्रधानमंत्री और सेना ने जो कदम उठाया है, उससे हम गर्व महसूस करते हैं। मैं अपने पोते को सेना में भेजूंगी। संजू और कंचन ने भी यही भावना जताई। कंचन ने कहा, "मेरी बेटी का नाम सिंदूर रखा है ताकि वह हमेशा देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखे। अस्पताल की नर्सिंगकर्मी संपत, जो खुद फौजी परिवार से हैं, कहती हैं कि ये नाम सिर्फ पहचान नहीं, भावनाओं का प्रतीक है। मेरे ससुर, पति और जेठ तीनों फौज में हैं। इन माताओं का जज्बा देख गर्व होता है।

डॉक्टर जितेंद्र चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ नामकरण नहीं है, बल्कि देशभक्ति का सजीव प्रमाण है। ये माताएं हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ा रही हैं। ऑपरेशन सिंदूर, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाया गया, अब नवलगढ़ की इन नई पीढ़ियों के नाम का हिस्सा बन चुका है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि जनमानस में देशभक्ति की भावना का जीवंत उदाहरण बन गया है। इन नवजातों के नामों में माताओं के सपने, दादी-दादाओं की उम्मीदें और पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हैं। सिंदूर अब सिर्फ सजा नहीं, शौर्य और बलिदान का प्रतीक बन गया है।