बड़ी कंपनियों की मुनीम न बने SDM! जानिए ऐसा कलेक्टर टीना ड़ाबी से क्यो बोले सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल
राजस्थान के बाड़मेर जिले में सोलर और विंड एनर्जी कंपनियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच स्थानीय लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने जिला मुख्यालय पर आयोजित एक बैठक के दौरान जिला कलेक्टर टीना डाबी से शिकायत करते हुए कहा

राजस्थान के बाड़मेर जिले में सोलर और विंड एनर्जी कंपनियों की बढ़ती गतिविधियों के बीच स्थानीय लोगों की नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। सांसद उम्मेदाराम बेनीवाल ने जिला मुख्यालय पर आयोजित एक बैठक के दौरान जिला कलेक्टर टीना डाबी से शिकायत करते हुए कहा कि इन कंपनियों के साथ रिटायर्ड अधिकारी जुड़े हुए हैं, जो ग्रामीणों पर धौंस जमाते हैं। बेनीवाल ने आरोप लगाया कि इन कंपनियों के ज़रिए लोगों को उचित मुआवज़ा नहीं मिल रहा, उल्टा SDM जैसे अधिकारी कंपनियों का पक्ष ले रहे हैं और कंपनी के 'मुनीम' की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
उन्होंने कलेक्टर से कहा कि ऐसे अधिकारियों को सख्ती से पाबंद किया जाए ताकि आम जनता के साथ अन्याय न हो। इस पर कलेक्टर टीना डाबी ने स्थिति को सिरे से नकारते हुए कहा कि प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई पक्षपात नहीं किया गया है। हालांकि, बैठक के दौरान कुछ लोगों की आवाज़ें भी सुनाई दीं, जिनमें अधिकारियों पर सरकार की ज़मीन खाली नहीं करवाने और आम लोगों पर रौब झाड़ने का आरोप लगाया गया।
गौरतलब है कि बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में कई सौर और पवन ऊर्जा कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वे ग्रामीणों को सही वक़्त पर मुआवज़ा नहीं देतीं और प्रशासन के सहारे जमीन अधिग्रहण में मनमानी करती हैं।
इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया जब 17 मई को शिव क्षेत्र के एक गांव मनिहारी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प देखी गई। वीडियो में एक महिला को हिरासत में लेते हुए दिखाया गया, जिसके बाद शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने थाने का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में ग्रामीण उनके साथ धरने पर बैठ गए।
बताया जा रहा है कि पुलिस ने हाईटेंशन लाइन के पोल लगाने में बाधा डालने के आरोप में महिला सहित कुछ ग्रामीणों को हिरासत में लिया था। इस पर विधायक भाटी ने पुलिस पर निजी कंपनियों की मिलीभगत से किसानों के साथ दुर्व्यवहार और मुआवज़ा दिए बिना ज़मीन पर कब्ज़ा करने का गंभीर आरोप लगाया।
ग्रामीणों की मांग है कि कंपनियों की गतिविधियों को नियंत्रित किया जाए, सभी प्रभावितों को उचित मुआवज़ा मिले और प्रशासन निष्पक्ष रूप से काम करे। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाता है।
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