who creating jat vs rajput conflict marudhara hanuman beniwal statement heat up politics राजस्थान में क्यों राजपूत बनाम जाट कर रहे हैं हनुमान बेनीवाल, बेटी वाले बयान के पीछे क्या सियासत, Jaipur Hindi News - Hindustan
Hindi Newsराजस्थान न्यूज़जयपुरwho creating jat vs rajput conflict marudhara hanuman beniwal statement heat up politics

राजस्थान में क्यों राजपूत बनाम जाट कर रहे हैं हनुमान बेनीवाल, बेटी वाले बयान के पीछे क्या सियासत

राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल इन दिनों खूब चर्चा में हैं। वजह है राजपूतों को लेकर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियां। आखिर क्यों वह जाट बनाम राजपूत कर रहे हैं? आइए समझते हैं।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरThu, 22 May 2025 11:22 AM
share Share
Follow Us on
राजस्थान में क्यों राजपूत बनाम जाट कर रहे हैं हनुमान बेनीवाल, बेटी वाले बयान के पीछे क्या सियासत

राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल इन दिनों खूब चर्चा में हैं। वजह है राजपूतों को लेकर उनकी आपत्तिजनक टिप्पणियां। पहले राजपूतों को लेकर बेटी वाली टिप्पणी और अब जाटों को सबसे बड़ा क्षत्रिय बताने वाले उनके बयानों के पीछे छिपी राजनीतिक वजहों की तलाश की जा रही है।

सांसद हनुमान बेनीवाल का एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें सांसद बेनीवाल ये कहते नजर आ रहे है कि हिंदुस्तान में जाट सबसे बड़ा क्षत्रिय है, उसके बाद यादव, फिर गुर्जर हैं। इसके बाद पटेल, पाटिल और मराठे आते हैं, फिर तुम्हारा (राजपूतों का) नंबर आता है।” यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि “जो लड़ा है वो क्षत्रिय है, क्षत्रिय कोई शब्द नहीं, वर्ण है राजस्थान की राजनीति में जातीय ध्रुवीकरण कोई नई बात नहीं, लेकिन हाल ही में नागौर सांसद और आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल के एक बयान से समुदाय में हलचल सी पैदा हो गई है।

यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, और इसके बाद राजपूत समाज में तीव्र आक्रोश देखने को मिला। राजपूत नेताओं और संगठनों ने इसे न सिर्फ एक जाति पर हमला, बल्कि संपूर्ण वीर जातियों का अपमान बताया। मारवाड़ राजपूत सभा भवन के सचिव केवी सिंह चांदरख ने इसे बेनीवाल की “राजनीतिक हताशा” का परिणाम बताया और चेतावनी दी कि सर्व समाज की बैठक बुलाकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बेनीवाल का यह बयान यूं ही नहीं आया। यह 2028 के विधानसभा चुनावों के लिए एक जातीय समीकरण गढ़ने की कोशिश का हिस्सा हो सकता है। जाट, यादव, गुर्जर, पटेल, पाटिल और मराठा—ये सभी सामाजिक रूप से प्रभावशाली जातियां हैं और विभिन्न क्षेत्रों में निर्णायक वोटबैंक भी मानी जाती हैं। बेनीवाल इन जातियों को एक "बहुजन क्षत्रिय" फ्रेम में जोड़कर गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस ध्रुवीकरण की रणनीति बना रहे हैं।

हालांकि यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। राजस्थान में जाट और राजपूत दोनों ही समुदाय ऐतिहासिक रूप से ताकतवर रहे हैं और कई बार एक-दूसरे के विरोध में आ खड़े हुए हैं। इस बयान से राजपूत समुदाय में गहरी नाराजगी फैलना स्वाभाविक है, लेकिन इसके साथ ही यह राज्य के सामाजिक सौहार्द्र पर भी चोट करता है। कई राजपूत नेताओं ने इसे "वीरभूमि का अपमान" बताया है। शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि जनता पहले भी ऐसे बयानों का जवाब दे चुकी है और आगे भी देगी।

विश्लेषकों के मुताबिक, हनुमान बेनीवाल अपने राजनीतिक वजूद को बनाए रखने के लिए नई सामाजिक गोलबंदी की कोशिश कर रहे हैं। उनकी पार्टी आरएलपी को पिछले चुनावों में सीमित सफलता मिली थी, और अब वे खुद को विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसके साथ ही, भाजपा और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियां इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा के आईटी सेल पर बेनीवाल द्वारा दूरी बढ़ाने का आरोप लगाना इस बात का संकेत है कि वह इस पूरे विवाद को पार्टी लाइन से ऊपर उठाकर जातीय ध्रुवीकरण के माध्यम से भुनाना चाहते हैं।

आखिरकार, यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थान की राजनीति फिर उसी पुराने जातीय मोड़ पर लौट रही है, जहां बयानबाज़ी से न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को नुकसान होता है, बल्कि चुनावों का रुख भी तय होता है। अब देखना यह होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है-समाधान की ओर या और गहराती खाई की ओर।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।