जोधपुर के कमलेश प्रजापत एनकाउंटर में राजस्थान के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी की बढ़ीं मुश्किलें, कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
कोर्ट ने इस मामले में राजस्थान सरकार के पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी के खिलाफ रिपोर्ट तलब की है।

जोधपुर स्थित सीबीआई कोर्ट ने बहुचर्चित कमलेश प्रजापत एनकाउंटर केस में मामले का संज्ञान ले लिया है। कोर्ट ने इस मामले में राजस्थान सरकार के पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और उनके भाई मनीष चौधरी के खिलाफ रिपोर्ट तलब की है। इस कार्रवाई के बाद राजस्थान की सियासत और पुलिस प्रशासन में हलचल मच गई है।
पीड़ित पक्ष के वकील अर्जुन सिंह ने बताया कि 22 अप्रैल 2021 को कमलेश प्रजापत की कथित एनकाउंटर में मौत हुई थी, जो एक योजनाबद्ध हत्या थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह एनकाउंटर पूरी तरह से पुलिस और कुछ राजनीतिक नेताओं की मिलीभगत का नतीजा था। सिंह ने कहा कि इस मामले में पाली और बाड़मेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षकों (एसपी), कई थाना प्रभारियों (एसएचओ), पुलिस अधिकारियों और उस कांस्टेबल को आरोपी बनाया गया है जिसने गोली चलाई थी।
सीबीआई द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिनके आधार पर भारतीय दंड संहिता (अब भारत न्याय संहिता - BNS) की संबंधित धाराओं के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि पूरे प्रकरण में उच्च स्तर की साजिश की आशंका है, और इसलिए राजनीतिक हस्तियों की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
मृतक कमलेश प्रजापत के परिजनों का आरोप है कि उसे एक सुनियोजित साजिश के तहत फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया, क्योंकि वह कुछ राजनीतिक गतिविधियों और स्थानीय स्तर पर चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ सक्रिय था। मामले में सीबीआई की जांच जारी है, और कोर्ट ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया है कि वह हरीश चौधरी और मनीष चौधरी की भूमिका की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे।