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राष्ट्रीय एकता बरकरार रखेंगे, बाद में करेंगे उग्र आंदोलन, हनुमान बेनीवाल क्यों स्थगित किया धरना

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में धांधली को लेकर चल रहा पिछले 13 दिनों का आंदोलन फिलहाल थम गया है। इस मामले पर बात करते हुए सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि देश की एकता बरकरार रखेंगे। इसे देखते हुए 13 मई तक के लिए धरने को स्थगित कर दिया गया है।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरFri, 9 May 2025 06:51 AM
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राष्ट्रीय एकता बरकरार रखेंगे, बाद में करेंगे उग्र आंदोलन, हनुमान बेनीवाल क्यों स्थगित किया धरना

राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ पिछले 13 दिनों से चल रहा धरना फिलहाल थम गया है। नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने गुरुवार देर शाम यह ऐलान किया कि देशहित को देखते हुए उनका आंदोलन 13 मई तक स्थगित किया जा रहा है। उन्होंने यह निर्णय भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के मद्देनज़र लिया है।

हनुमान बेनीवाल RPSC (राजस्थान लोक सेवा आयोग) के पुनर्गठन, सब इंस्पेक्टर भर्ती 2021 को रद्द करने, PTI भर्ती में दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया की मांग, और REET और RAS भर्ती परीक्षाओं में हुई कथित धांधलियों की CBI जांच की मांग को लेकर राजधानी जयपुर में सैकड़ों युवाओं के साथ धरने पर बैठे थे। आंदोलन के दौरान लगातार युवाओं और बेरोजगारों की भारी भागीदारी देखने को मिली।

धरना स्थगित करते हुए बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा राज्य है। वर्तमान में देश की सुरक्षा प्राथमिकता है। ऐसे समय में जब पाकिस्तान ने दुस्साहस किया है, हमारी सेना ने उसे करारा जवाब दिया है। देश को इस समय एकता की आवश्यकता है, इसलिए हमने आंदोलन को 13 मई तक स्थगित करने का फैसला लिया है।

हालांकि बेनीवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि यह केवल एक अस्थायी निर्णय है और यदि सरकार ने युवाओं की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आंदोलन और अधिक उग्र रूप लेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि छात्रों और युवाओं के भविष्य से किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र से मांग की कि RPSC जैसी संवैधानिक संस्था को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए उसे भंग कर पुनर्गठित किया जाए। साथ ही, भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने और दोषियों को सख्त सजा देने की मांग दोहराई।

इस बीच, धरना स्थगन की घोषणा के बाद युवाओं के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ ने इसे देशहित में लिया गया सराहनीय कदम बताया, वहीं अन्य ने आंदोलन की रफ्तार धीमी पड़ने को लेकर चिंता जताई।