प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान में जन सुराज पार्टी की पहली रैली में अपने पसंदीदा विषय तेजस्वी यादव का पन्ना नहीं पलटा और भाषण में सारे तीर नीतीश कुमार पर छोड़े। पीके इमोशन में कुछ पर्सनल भी होते दिखे।
पूर्णिया के निर्दलीय सांसद सह कांग्रेस नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को प्रशांत किशोर ने उन्हीं के गढ़ में बड़ा चैलेंज दिया है। नाम लिए बगैर पीके ने कहा कि जब बरसात होगी तो मेंढक निकलेंगे और टर्र-टर्ट भी करेंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा कि सबसे पहले संसाधन पर हक अनुसूचित जाति के लोगों का है। जो पीछे रह गए है, उन्हें आगे लाना है। जिसके लिए जन सुराज ने अपने 5 वादों को सामने रखा है।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर एक एनजीओ के जरिए फंडिंग करवाने और इसमें काला धन को सफेद बनाने के खेल का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रशांत किशोर से पारदर्शिता के साथ इस मसले पर सफाई देने कहा है।
BPSC मामले पर आज जनसुराज के अध्यक्ष मनोज भारती के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की। छात्रों की मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है। इस दौरान राज्यपाल ने जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर से आमरण अनशन तोड़ने की अपील की है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बीपीएससी परीक्षा में कथित अनियमितता के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाली है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी।
जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर को पटना सिविल कोर्ट ने जमानत दे दी है, मगर पीके बेल बॉन्ड भरने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने सशर्त जमानत लेने से इनकार कर दिया है।
गांधी मैदान से अहले सुबह लगभग 4 बजे गिरफ्तार जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की पटना सिविल कोर्ट में पेशी से पहले मेडिकल जांच के लिए पुलिस को फतुहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक जाना पड़ा।
तेजस्वी ने कहा, ‘जो ताकत भूख हड़ताल में थी वो कुछ और थी। इस बीपीएससी आंदोलन को कुछ लोगों ने गुमराह करने की कोशिश की। हम भी चाहते थे तो 5 लाख लोगों को गांधी मैदान बुला देते। अपने एक कॉल पर 5 लाख लोगों को बुला देते लेकिन उसका हल नहीं निकलना था।’
तेरह दिसंबर को आयोजित संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में प्रदेश की राजधानी पटना के एक परीक्षा केंद्र पर प्रश्नपत्र लीक होने की अफवाह फैल गई थी जिसके बाद सैकड़ों उम्मीदवारों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए परीक्षा का बहिष्कार भी किया था।