दरभंगा के घनश्यामपुर में एक युवक की शुक्रवार को शराब पीने के बाद मौत हो गई। घर वालों ने उसके दोस्त पर शराब में जहर देकर मारने का आरोप लगाया है।
बिहार के मद्य निषेध विभाग की ओर से जारी आंकड़े के अनुसार राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद जहरीली शराबकांड में 190 लोगों की मौतें हो चुकी हैं।
आरजेडी विधायक कुमार सर्वजीत ने कहा कि अगर नीतीश सरकार की पुलिस बिहार में शराब की तस्करी रोकने में सक्षम नहीं है तो, सरकार शराबबंदी कानून हटाकर कोई दूसरा कानून ले आए।
आशंका है कि पहले भी जब्त शराब थाने से बाहर निकाली गई है। अब थाने के जब्त स्टॉक और नष्ट शराब के ब्योरे का मिलान कराया जा रहा है। यहां लंबे समय से निजी मुंशी काम कर रहा है। लेकिन वरीय अधिकारी भी ध्यान नहीं देते।
छपरा के जिस मशरक थाने में उत्पाद विभाग के पुलिसकर्मी शराब पार्टी करते हुए पकड़े गए, उस क्षेत्र में जहरीली शराब से बीते दो सालों के भीतर 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
पश्चिम चंपारण (बेतिया) के मठिया गांव में कथित जहरीली शराबकांड के बाद दारू के पाउच मिले, जिसे चौकीदार ने जलाने की कोशिश की। एक अन्य व्यक्ति के आंखों की रोशनी चली गई है। कथित रूप से शराब पीने के बाद गांव के 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
पश्चिम चंपारण जिले के लौरिया में 6 लोगों की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। इनकी जहरीली शराब से जान जाने की आशंका जताई जा रही है।
शराबबंदी वाले बिहार में सबसे ज्यादा पियक्कड़ पटना में हैं।जिसके बाद भभुआ में सबसे अधिक 8 हजार 722 लोग शराब पीने के अपराध में गिरफ्तार किए गए। पूर्वी चंपारण में 6584, जमुई में 4078, मधुबनी में 4130, किशनगंज में 2517 और सीवान में 5580 लोगों की गिरफ्तारी हुई। 2024 में कुल 1.42 लाख लोग गिरफ्तार हुए।
बिहार में वैसे तो शराबबंदी है, लेकिन बीते कुछ सालों में जहरीली शराब से हुई मौतों ने इस दावे पर सवाल उठाने को मजबूर किया है। पूर्वी चंपारण जिले का लक्ष्मीपुर गांव भी पिछले साल जहरीली शराबकांड की वजह से चर्चा में आया था, लेकिन अब इसकी तस्वीर बदल गई है।