Shani Trayodashi Vrat 2024: शनि त्रयोदशी तिथि के दिन शनि देव की पूजा करना अत्यंत लाभिकारी सिद्ध होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि त्रयोदशी तिथि के दिन शनि देव व शिव जी की पूजा करने से शनि की साढ़ेसाती व बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत शिवभक्तों के लिए काफी खास होते हैं। भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत के दिन भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल सावन के दूसरे शनिवार को शनि प्रदोष व्रत का शुभ संयोग बन रहा है।
इस समय कुंभ, मकर, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और कर्क, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या की वजह से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
शनिदेव 2025 में राशि परिवर्तन करेंगे। शनि के राशि परिवर्तन का सीधा-सीधा प्रभाव पांच राशियों पर पड़ता है। इस समय कुंभ, मकर व मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती और कर्क, वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है।
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार शनिदेव की बुरी दृष्टि पड़ने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं शनि के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का जीवन राजा के समान हो जाता है। शनि रंक को भी राजा बना देते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में शनिदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। 30 जून से शनि की वक्री चाल शुरू हो जाएगी।शनि के कुंभ राशि में वक्री होने पर कुछ राशि वालों को अपना विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
Shanivar ke din kya karein : शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हर शनिवार को दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। दशरथ कृत शनि स्तोत्र की रचना भगवान श्री राम के पिताजी राजा दशरथ ने की थी।
शनिवार के दिन शनि देव की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शनिवार के दिन शनि देव की उपासना करते हैं उनके जीवन की सभी परेशानियां दूर होती हैं। वहीं जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
shani jayanti 2023 shani dev ki aarti upay : शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्य पर शनि जयंती का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल 19 मई को शनि जयंती है।
फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 4 मार्च शनिवार को रखा जाएगा। शनिवार को होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत कहलाता है। इस बार शनि प्रदोष व्