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बोले आगरा: फुटवियर और हस्तशिल्प अमेरिका में दिखाएंगे दम

Agra News - आगरा के फुटवियर निर्यातक अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ से चिंतित नहीं हैं। उनका मानना है कि यह स्थिति भारतीय उत्पादों को बेहतर बनाने और अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगी। एफमेक के...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराFri, 11 April 2025 12:12 AM
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बोले आगरा: फुटवियर और हस्तशिल्प अमेरिका में दिखाएंगे दम

अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ से घबराने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं। भारत के फुटवियर निर्यात में प्रतिस्पर्द्धियों पर इस टैक्स की दर अधिक रहने से भारतीय निर्यातक फायदे में रहेंगे। अब उनको अपने उत्पाद को और भी बेहतर करना है। अरबों के अमेरिकी बाजार पर कब्जा करने का अवसर मिलेगा। गुरुवार को आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एक्सपोर्टर्स चैंबर (एफमेक) के प्रमुख पदाधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला। उनका मानना है कि यह टैरिफ आगरा के लिए बड़े अवसर लाएगा। हालांकि कुछ निर्यातक अभी इंतजार के साथ आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं। जनगरी के लेदर फुटवियर की टक्कर चीन एवं ताइवान के साथ वियतनाम के निर्माताओं से रहती है। इन सभी देशों पर अमेरिका ने भारी भरकम टैरिफ लगाया है।

उदाहरण बांग्लादेश एवं पाकिस्तान का भी दिया। बताया कि इन देशों को अभी तक अमेरिका ने एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का दर्जा दे रखा था। अब स्थिति बदल गई है। अब इन पर भी रेसीप्रोकल टैरिफ लागू हो गया है। इस हिसाब से इन दोनों देशों से जाने वाले लेदर फुटवियर पर भी भारी भरकम टैक्स की अदायगी होगी। एफमेक पदाधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-2023 के दौरान आगरा से अमेरिका को 370 करोड़ रुपये से भी अधिक का निर्यात हुआ था। वर्ष 2023-2024 में इसकी मात्रा कम होकर 260 करोड़ रुपये के करीब रह गई।

लगभग 110 करोड़ रुपये की यह बड़ी गिरावट उस समय हुई थी जबकि कोई रेसीप्रोकल टैरिफ नहीं था। उस समय गिरावट की मुख्य वजह ताइवान, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों का इस सेक्टर में उठान था। इसका नुकसान आगरा को भुगतना पड़ा था। अब इन देशों पर टैरिफ की दर भारत से कहीं ज्यादा है। इन हालातों में भारत का लेदर जूता अमरीकी खरीदारों को रेसीप्रोकल टैरिफ लगने के बाद भी सस्ता पड़ेगा। गुणवत्ता के साथ जब लागत में भी उत्पाद बाजार में टिकने लायक स्थिति में आ जाए तो यह कारोबार के लिए फायदेमंद स्थिति होगी। पूरन डावर के अनुसार यह टैरिफ उस देश के साथ व्यापार घाटे के आधार पर तय किए गए है।

यह अब तक जिस देश के साथ जो टैरिफ है यह उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। सभी देश सकते में है उससे भी अधिक अमेरिका के आयातक सकते में है क्योंकि यह भार उन पर पड़ने वाला है न कि निर्यातकों पर। अमेरिका में अभी तक उपभोक्ता उत्पाद काफी सस्ते हुआ करते थे। पूरे विश्व के पर्यटकों के लिए यह एक बड़ा शॉपिंग सेंटर था। अब इस पर बड़ा झटका लग सकता है। अमेरिका का एक ओर ट्रेड घाटा कम होगा दूसरी ओर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर सीधे मार पड़ेगी। अर्थ व्यवस्था में भी मंदी आ सकती है। जिस तरह से भारत लगातार मुक्त व्यापार समझौतों पर भी काम कर रहा है, यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ हो चुका है। यूके के साथ एफटीए पर बातचीत में बड़ी प्रगति है। अमेरिका के साथ भी लगातार बात जारी है।

हस्तशिल्प को मिलेगा दम

हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सदस्यों की दिल्ली में एक आपात बैठक बुलाई गई थी। इसमें चर्चा का विषय टैरिफ रहा। इस बात पर संतोष जताया गया कि भारत के प्रतिस्पर्द्धियों को अधिक टैक्स देना होगा। स्थानीय निर्यातकों को इस प्रतिस्पर्द्धा के कारण अवसर तो बढ़े हुए मिलेंगे। यदि वे अपने मुनाफे कायम रखने के लिए कार्यकुशलता बढ़ाएंगे तो अत्यधिक फायदे में रहेंगे। विशेष रूप से चीन पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ से यह सेक्टर लाभान्वित होने की स्थिति में है।

आगरा के हस्तशिल्प के ऊंचाइयों के सफर में उत्कृष्टता का बड़ा योगदान रहा। हाथ की कारीगरी के साथ मशीन निर्मित उत्पादों में भी आगरा के उद्यमियों ने खासी मेहनत की है। इसमें कई प्रकार के उत्पाद आगरा की खोज कहे जा सकते हैं। इस वजह से राष्ट्रीय निर्यात पुरस्कारों में कई बार आगरा का जलवा रहा है। इन्हीं प्रयासों से निर्यात को 1500 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंचा दिया गया। उम्मीद की जा रही है कि महीन पच्चीकारी से तैयार टेबल टॉप एवं अन्य कलाकृति एक बार फिर आगरा को उत्कृष्टता एवं कारोबार के शिखर तक पहुंचा देगी।

व्यापार घाटे से तय किए

पूरन डावर के अनुसार यह टैरिफ उस देश के साथ व्यापार घाटे के आधार पर तय किए गए है। यह अब तक जिस देश के साथ जो टैरिफ है यह उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगेगा। सभी देश सकते में है उससे भी अधिक अमेरिका के आयातक सकते में है क्योंकि यह भार उन पर पड़ने वाला है। न कि निर्यातकों पर। अमेरिका में अभी तक उपभोक्ता उत्पाद काफी सस्ते हुआ करते थे। पूरे विश्व के पर्यटकों के लिए यह एक बड़ा शॉपिंग सेंटर था। अब इस पर बड़ा झटका लग सकता है।

अमेरिका का एक ओर ट्रेड घाटा कम होगा दूसरी ओर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर सीधे मार पड़ेगी। अर्थ व्यवस्था में भी मंदी आ सकती है। जिस तरह से भारत लगातार मुक्त व्यापार समझौतों पर भी काम कर रहा है, यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ हो चुका है। यूके के साथ एफटीए पर बातचीत में बड़ी प्रगति है। अमेरिका के साथ भी लगातार बात जारी है।

ये कहना है इनका

अमेरिका का निर्णय आगरा के लिए फायदेमंद रहेगा। जिन देशों से हमारी टक्कर है, सभी पर टैरिफ की दर हमसे बहुत ज्यादा है। इन हालातों में हम लोगों को नए बाजार और नए अवसर मिल सकेंगे।

पूरन डावर, अध्यक्ष, एफमेक

अमेरिकी टैरिफ से घबराने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं। यह हम लोगों के लिए नए अवसर लाने जा रहा है। ताईवान और वियतनाम से हमको कड़ी टक्कर मिलती है। नए टैरिफ से हमको बढ़त मिलेगी।

राजेश सहगल, उपाध्यक्ष, एफमेक

अभी हम यह नही कह सकते कि कितना फायदा होगा। यह तो प्रत्येक वस्तु पर टैक्स की दर के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन हमारे प्रतिद्वंद्वियों पर टैक्स की दर ज्यादा होने का निश्चित ही लाभ होगा।

गोपाल गुप्ता, निर्यातक

फिलहाल स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। जिस तरह से अन्य देशों पर जो कि हमारे प्रतिद्वंद्वी हैं, टैरिफ की दर ज्यादा है, उससे तो ऐसा लगता है कि हमारे निर्यातकों को इसमें बढ़े हुए अवसर मिल सकते हैं।

नजीर अहमद, निर्यातक

ट्रंप के टैरिफ से हमें बढ़त तो मिल गई है। अब सरकार भी अपना रोल अदा करे। हम लोगों को इस समय प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का फायदा दिया जाए। निर्यातक भी समझदारी से काम लें।

रजत अस्थाना, अध्यक्ष, हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन

कुछ अरसा पहले हस्तशिल्प निर्यात में कमी आई थी। अब हालात सामान्य हो रहे हैं। जिस तरह से अमरीका के घटनाक्रम चल रहे हैं, उससे भी हमारे यहां के हस्तशिल्प कारोबार को फायदा मिलेगा।

सिद्धार्थ गुप्ता, निर्यातक

हम अमरीका में अपने उत्पाद निर्यात करते हैं। बीते अरसे से इसमें वृद्धि हो रही है। वर्तमान हालात भी अनुकूल लग रहे। निर्यात और भी बढ़ सकता है। आगरा का हस्तशिल्प अपनी अलग ही पहचान रखता है।

रवि वर्मा, निर्यातक

यह समय सोच विचार कर काम को बेहतर करने का है। सरकार को भी चाहिए कि हम लोगों को प्रेरित करने के लिए पूर्व में चलने वाली पीएलआई स्कीम को दोबारा शुरू करें। इसका बड़ा फायदा मिल सकता है।

नरेंद्र वर्मा, निर्यातक

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