बजा ली बांसुरी बरसों अब चक्र धारेंगे
22 अप्रैल को पहलगाम की वादियों में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। लेकिन अलीगढ़ के पूर्व सैनिकों के दिल में इसने लावा उबाल दिया है। मंगलवार को जिला स्टेडियम में पूर्व सैनिकों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी।
पूर्व सैनिकों ने आतंकियों और उन्हें पनाह देने वाले पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की मांग की। पूर्व फौजियों ने साफ कहा कि अब शब्द नहीं, सर्जिकल वार चाहिए। अगर सरकार चाहे, तो वे फिर से बूट पहनने को तैयार हैं।
हमने दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर लड़ाई लड़ी है, लेकिन अब दुश्मन पीठ में छुरा घोंप रहा है। ये शब्द थे अलीगढ़ के पूर्व सैन्यकर्मियों के। जिन्होंने मंगलवार को जिला स्टेडियम में अपने साथियों के साथ पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोषों को श्रद्धांजलि दी। लेकिन यह श्रद्धांजलि केवल मौन नहीं था यह उस ज्वाला का प्रतीक था जो इन देशभक्तों के भीतर खौल रही है। चेहरे पर गुस्सा, आंखों में देशभक्ति और दिल में एक ही संकल्प अब बहुत हो चुका। जवाब चाहिए, और वो ऐसा कि अगली पीढ़ियों तक दुश्मन कांपे।
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत टीम ने पूर्व सैन्यकर्मियों से संवाद किया। इस दौरान पूर्व सैनिकों ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार भारत की शांति को ललकारता है और अब उसने जो किया है वह कायरता की सारी हदें पार कर चुका है। सेना की वर्दी पहनाकर आतंकियों को भेजना, निहत्थे पर्यटकों को गोलियों से भून देना ये युद्ध नहीं, आतंक का खुला नाच है। पूर्व सैन्यकर्मियों ने कहा कि जब हम पीओके में तैनात थे, तब सामने से गोली चलती थी। तो जवाब भी सीधा देते थे। लेकिन अब आतंक की नई परछाइयां हैं। जहां दुश्मन निर्दोषों को ढाल बनाकर वार करता है। ये जंग से भी ज्यादा घिनौनी हरकत है। पूर्व सैनिकों का कहना है कि केवल सिंधु जल संधि को रोकने या राजनयिक संबंध घटाने से बात नहीं बनेगी। देश के भीतर और सीमा पार बैठे इन गद्दारों को खत्म करना होगा। कहा कि हमने कारगिल में लड़ाई लड़ी है, वहां के पत्थरों में आज भी हमारे खून की गर्मी है। सरकार बस कहे, हम फिर से उसी पत्थर पर खून देने को तैयार हैं। कहा कि हमारी रगों में आज भी वही आग है। दुश्मन अगर समझता है कि रिटायर होने के बाद हम शांत बैठ गए हैं, तो ये उसकी भूल है। भारत का हर पूर्व सैनिक आज भी युद्ध के लिए तैयार है। पूर्व सैनिकों ने यह भी कहा कि पाकिस्तान जान बूझकर कश्मीर की खुशहाली को खत्म करना चाहता है। जब घाटी में अमन लौट रहा था, पर्यटन बढ़ रहा था, तब यह हमला करना इस बात का सबूत है कि पाकिस्तान कभी भी शांति नहीं चाहता। उन्होंने उनको मारा, जिनका कश्मीर की राजनीति, धर्म या रहन-सहन से कोई लेना-देना नहीं था। वे सिर्फ वहां की खूबसूरती देखने आए थे।
एक बार आरपार की हो जाए तो सब ठीक हो
पूर्व सैन्यकर्मियों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अब किसी तरह से पाकिस्तान के साथ संबंध रखने या बातचीत करने की संभावनाओं को लेकर तैयार नहीं हैं। वह चाहते हैं कि अब बहुत हो चुका है। अभी तक तो आमने-सामने की गोलीबारी में सैनिकों के साथ सीधा मुकाबला होता था, लेकिन अब तो आम लोगों के साथ जो कश्मीर के मेहमान के रूप में वहां जाते हैं। उनके साथ अतिथि देवो भव: की भावना नहीं रखी जाती, बल्कि उन्हें अपना शिकार बनाया जाता है। इसलिए अब तो पूर्व सैन्यकर्मी आरपार की चाहते हैं।
पूरे कश्मीर में सर्च ऑपरेशन किया जाए
कश्मीर के हालात फिर से बिगड़ रहे हैं। जरूरत है कि अब फिर से यहां सर्च आपरेशन होना चाहिए। पूर्व सैनिकों के पुराने अनुभवों को मानें तो उनके अनुसार वहां रहने वाले लोगों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है। सभी को शक की नजर से देखा जाना चाहिए। तभी आतंकियों को शरण देने वालों को चिह्नित किया जा सकेगा। इसके लिए पूरा प्लान तैयार होना चाहिए। एक तरफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए तो दूसरी तरफ क्षेत्रीय लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए। सेना की इस तरह की कार्रवाई से ही तत्काल हालात में सुधार होगा
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