भारत-पाक तनाव के बीच अखिलेश यादव ने यूपी के इन 6 शहरों में मांगा मिलिट्री स्कूल, बताया कारण
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी के छह शहरों में मिलिट्री स्कूल खोलने की सरकार से मांग की है। अखिलेश ने इन स्कूलों को खोलने की क्यों जरूरत है, इसका भी कारण बताया है।

भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सेना के जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा है कि भारतीय सेना सबसे मजबूत, सशक्त और बहादुर है। हम सभी को अपनी सेना की बहादुरी पर गर्व है। इसके साथ ही उन्होंने यूपी के छह शहरों में मिलिट्री स्कूल खोलने की सरकार से मांग की है। अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ के साथ ही पश्चिमी यूपी के सहारनपुर, अपने संसदीय क्षेत्र कन्नौज के साथ इटावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और संत कबीरनगर जिले में नए मिलिट्री स्कूल खोले की मांग करते हुए कहा कि इससे देश की अखंडता और एकता को चुनौती देने वाली ताकतों को सही में निर्णायक जवाब दिया जा सके।
अखिलेश ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं से राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर के योगदान की तारीफ करते हुए कहा कि यह परंपरा देश की आजादी से लेकर निरंतर चल रही है। उत्तर प्रदेश में सच्चे देशप्रेमियों की, जो अनंत गौरवशाली परंपरा स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर आज तक रही है। आशा है कि वर्तमान संवेदनशील सामरिक परिस्थितियों को देखते हुए सरकार यूपी में नए मिलेट्री स्कूल खोलने पर गंभीरता से विचार करते हुए तत्काल घोषणा करेगी।
अखिलेश यादव राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर के छात्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां चलती आई है महान परंपरा वीरता की, वहां हम सबको सीख मिलती है शूरता-शीलता की। हम सब ने अपने आदर्श वाक्य ‘शीलम परम भूषणम्’ से देशभक्ति अनुशासन और पराक्रम के शील चरित्र का बीज बोने वाले राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल धौलपुर, का देश की प्रतिरक्षा सुरक्षा में अभूतपूर्व योगदान रहा है, यह परंपरा देश की आजादी से लेकर आज तक निरंतर है।
महिला अफसर पर टिप्पणी को लेकर भाजपा पर बरसे
अखिलेश यादव ने एमपी की भाजपा सरकार में मंत्री विजय साह की कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की गई टिप्पणी पर नाराजगी जताई। भाजपा पर निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा कि मंत्री का अति निंदनीय बयान केवल एक उच्च सैन्य महिला अधिकारी ही नहीं बल्कि देश की हर नारी और सेना का अपमान है। ये महानुभाव सदैव से भाजपाई और उनके संगी-साथियों की ‘नारी विरोधी’ सोच के मुखपत्र रहे हैं।
कहा कि कुछ वर्षों पहले इन्होंने ही देश की एक प्रतिष्ठित अभिनेत्री के कार्य में बाधा डाली थी। भाजपा की ‘नारी शक्ति वंदन अभियान’ जैसी झूठी घोषणाओं का सच ऐसे लोगों के दुष्विचार खोल देते हैं। ऐसे लोग मंत्री तो क्या, किसी गली-मोहल्ले तक के भी जनप्रतिनिधि नहीं बनने चाहिए। सवाल ये है कि इन्हें भाजपा वाले स्वयं हटाएंगे या इनके ख़िलाफ़ एकजुट नारी शक्ति और जनता।