Economic Empowerment of Cow Shelters Production of Wood and Other Products from Cow Dung गोशालाओं में खुलेंगी गोकाष्ठ यूनिट, बनाए जाएंगे विभिन प्रकार के उत्पाद, Amroha Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsAmroha NewsEconomic Empowerment of Cow Shelters Production of Wood and Other Products from Cow Dung

गोशालाओं में खुलेंगी गोकाष्ठ यूनिट, बनाए जाएंगे विभिन प्रकार के उत्पाद

Amroha News - अमरोहा, संवाददाता। जिले की गौशालाओं में अब गाय के गोबर से लकड़ी और अन्य उत्पाद बनाने की तैयारी की जा रही है ताकि गौशालाएं आर्थिक रुप से सक्षम हो सकें।

Newswrap हिन्दुस्तान, अमरोहाMon, 26 May 2025 04:15 AM
share Share
Follow Us on
गोशालाओं में खुलेंगी गोकाष्ठ यूनिट, बनाए जाएंगे विभिन प्रकार के उत्पाद

जिले की गौशालाओं में अब गाय के गोबर से लकड़ी और अन्य उत्पाद बनाने की तैयारी की जा रही है ताकि गौशालाएं आर्थिक रुप से सक्षम हो सकें। वहीं गौशालाओं में गायों के निकलने वाले गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद भी तैयार होगी। गाय के गोबर से लकड़ी,अगरबत्ती और गमला भी तैयार हो सकता है। अमरोहा की कताई मिल स्थित याहियापुर गौशाला में गोकाष्ठ यूनिट खुली है। इसके बाद अन्य गौशालाओं में भी से शुरू कराया जाएगा। जिले में 23 गौशाला संचालित हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 15 व नगरीय क्षेत्र में 8 गौशाला संचालित है। जिनमें करीब 4 हजार से अधिक गोवंशीय पशु संरक्षित हैं।

गौशालाओं को सुविधाओं से युक्त बनाने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कवायद भी जिले में चलाई गई है। इसके अंतर्गत अब गोकाष्ठ यूनिट गौशाला में संचालित की जाएंगी। गायों के गोबर से विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार होंगे। दाह संस्कार के लिए पेड़ की लकड़ी की बजाय गाय के गोबर से बनी लकड़ी गोकाष्ठ का इस्तेमाल करने की पहल शुरू की जा रही है। ऐसे में गोकाष्ठ के इस्तेमाल से पर्यावरण और गोरक्षा दोनों की जा सकती है। गायों के निकलने वाले गोबर का यदि उपयोग शुरु हो जाए तो इससे लकड़ी बनाई जा सकती है और इस लकड़ी का उपयोग मुक्तिधाम में किया जा सकता है। गाय के गोबर से इस मशीन के जरिए लकड़ी के साथ साथ दिए और अगरबत्ती बनाकर आर्थिक रुप से गौशालाओं को समृद्ध बनाया जा सकेगा। लकड़ी बनाने के लिए सिर्फ ताजे गोबर की जरूरत होती है। 60 क्विंटल गोबर से करीब 15 क्विंटल लकड़ी तैयार हो जाती है। इस तरह एक गोकाष्ठ की लागत करीब 8-10 रुपए प्रति किलो पड़ती है। ऐसे काम करती है मशीन मशीन में ताजा गोबर डाला जाता है। मशीन के साथ लकड़ी का आकार देने की डाई लगी है, जिससे यह गोबर लकड़ी के टुकड़ों के आकार में बाहर आता है। इसे पांच-छह दिन सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया में इसका पानी उड़ जाता है और यह कठोर होकर लकड़ी के रूप में तैयार हो जाता है। अमरोहा की याहियापुर गौशाला में गोकाष्ठ यूनिट चालू हो चुकी है। अन्य गौशालाओं में भी इस तरह की यूनिट संचालित कराई जाएंगी। इससे तैयार होने वाले उत्पाद की बिक्री की व्यवस्था भी कराई जाएगी। इस पहल से क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा और आर्थिक रुप से गौशालाओं को समृद्ध बनाया जा सकेगा। अश्विनी कुमार मिश्रा सीडीओ अमरोहा

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।