Severe Storm Devastates Mango Crop Prices Plummet to 4 per KG आंधी : दूसरे दिन भी मंडी में आम की भारी आवक, 100 टन सप्लाई, Amroha Hindi News - Hindustan
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आंधी : दूसरे दिन भी मंडी में आम की भारी आवक, 100 टन सप्लाई

Amroha News - आंधी ने आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। मंडी में आम की खरीद 100 टन तक पहुंच गई है, लेकिन कीमतें गिरकर चार रुपये प्रति किलो हो गई हैं। उत्पादक और ठेकेदारों को 10 से 15 प्रतिशत नुकसान का अनुमान...

Newswrap हिन्दुस्तान, अमरोहाFri, 23 May 2025 07:02 PM
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आंधी : दूसरे दिन भी मंडी में आम की भारी आवक, 100 टन सप्लाई

आंधी ने आम की फसल पर व्यापक तबाही मचाई है। इसकी बानगी लगातार दूसरे दिन मंडी में दिखाई दी। शुक्रवार शाम तक करीब 100 टन आम की खरीद हुई। मंडी में हर ओर आम के बोरे लगे हुए दिखाई दिए। भारी आमद के चलते 20-25 की जगह रेट गिरकर चार रुपये प्रति किलो तक रह गया। उत्पादकों व बागान ठेकेदारों को भारी नुकसान होने की बात कही जा रही है। बुधवार रात बरसात के संग आंधी ने क्षेत्र में आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। गुरुवार सुबह से लेकर शाम तक नगर की मंडी में ट्रैक्टर-बैलगाड़ी, ई-रिक्शा समेत अन्य वाहनों से बागान स्वामी व ठेकेदार टूटा हुआ आम लेकर आते रहे।

20 टन से अधिक अधिक आम की आमद हुई। आम इतना अधिक टूटा कि खासी मेहनत के बाद भी मजदूर पेड़ों के नीचे गिरे सभी आम को नहीं बटोर सके, जिसके चलते शुक्रवार को भी मंडी में आम की जबरदस्त आवक रही। आढ़ती उस्मान चौधरी ने बताया कि शुक्रवार शाम करीब पांच बजे तक 100 टन आम मंडी में आ चुका है। जबकि, देर शाम तक आम लाए जाने का सिलसिला जारी था। आढ़ती संजय सहदेव ने बताया कि आंधी से पहले आम का रेट 20 से 25 रुपये किलो था, अब आम महज चार रुपये प्रति किलो के रेट पर आम बिक रहा है। यहां से अचार फैक्ट्रियों को आम भेजा जा रहा है। उद्यान स्वामियों व ठेकेदारों का अनुमान है कि क्षेत्र में आंधी ने आम की फसल को 10 से 15 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचाया है। दिल्ली-गाजियाबाद की अचार फैक्ट्री सस्ते दाम में खरीद रहीं आम हसनपुर। बताया जा रहा है कि आम लगभग परिपक्व हो चुका है। इसलिए आम को अचार बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली, गाजियाबाद व नोएडा की अचार फैक्ट्रियां सस्ते दाम में आम खरीद रही हैं। स्थानीय बाजार में आम की खपत बेहद कम है। मांग से कहीं अधिक आपूर्ति होने की वजह से रेट घटकर एक चौथाई से भी कम रह गया है। चूंकि, अचार व खटाई के अलावा इस वक्त आम का दूसरा कोई उपयोग नहीं हो सकता इसलिए उत्पादकों व ठेकेदार के पास आम को औने-पौने दाम में बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है।

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