बोले अयोध्या: ग्रामीण बस सेवा की सहूलियत नहीं, डग्गामारों की मनमानी
Ayodhya News - अयोध्या में गर्मी, बरसात या ठंडी मौसम में यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन निगम की कोई बस सेवा नहीं है, जिससे यात्रियों को डग्गामार वाहनों से यात्रा करनी पड़ती है। रुदौली में भी...

अयोध्या। गर्मी, बरसात या ठंडी मौसम की मार कस्बा व प्रमुख बाजार तक सफर करने वाले यात्रियों को झेलनी पड़ रही है। अयोध्या जिला मुख्यालय से कस्बा व प्रमुख बाजारों तक परिवहन निगम की एक भी बस सेवा यात्रियों को सुगम सफर का एहसास नहीं करा पा रही है, क्योंकि प्रमुख मार्गों के अलावा सभी संपर्क मार्ग परिवहन निगम बस सेवा से अछूते हैं। इसलिए कस्बा व प्रमुख बाजारों तक सफर के लिए महिला, पुरूष, बच्चे व बुजुर्ग यात्रियों को हिचकोले खाकर डग्गामार वाहनों से सफर तय करना मजबूरी है। अयोध्या से रूदौली, हैरिग्टीनगंज, अमानीगंज, तारून, हैदरगंज सहित अन्य कस्बा व बाजार के लिए एक भी परिवहन निगम की बस का संचालन नहीं किया जा रहा है।
जिला मुख्यालय के लिए कस्बा व बाजार से प्रतिदिन भारी संख्या में छात्र, व्यापारी, नौकरी पेशा व रोजगार के लिए लोगों का सरकारी दफ्तर व प्रतिष्ठान तक आवागमन रहता है। यात्रियों को गंतव्य तक सफर के लिए काटों भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है, क्योंकि रोडवेज बसों का संचालन न होने से डग्गामार वाहनों से सफर तय करना मजबूरी होती है। डग्गामार वाहनों के लंबी दूरी तक संचालन न होने पर यात्रियों को कई जगह संसाधनों को बदलना पड़ता है। इसलिए यात्रियों को जेबें ढीली करनी पड़ती है। डग्गामार वाहन मनमानी किराया भी वसूलते हैं, क्योंकि जिम्मेदार की ओर से कोई किराए का निर्धारण नहीं किया गया है। किराए की वसूली को लेकर आए दिन यात्रियों को वाहन चालकों में किच-किच भी होती रहती है। इसके अलावा लंबी दूरी तक सफर तय करने के लिए बार- बार वाहनों के बदलने से समय की काफी बर्बादी होती है। खासकर महिला, बच्चे व बुजुर्ग को परेशानी होती है, क्योंकि डग्गामार वाहनों से सफर में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कोई गारंटी नही है। शाम ढलते ही प्रमुख बाजार व कस्बे के लिए संचालित आटो व ई- रिक्शा भी सड़कों से नदारद हो जाते हैं। ऐसे में महिलाओं को निजी वाहनों या पैदल यात्रा करने को मजबूर होना पड़ता है और ग्रामीण इलाके में रास्ता सूनसान होने की वजह से घटना होने की आंशका बनी रहती है। इसलिए जिला मुख्यालय से कस्बे व प्रमुख बाजार तक परिवहन निगम की सीधी बस सेवा शुरू होने पर ही सुरक्षित व सुगम सफर का सपना साकार हो सकेगा। परिवहन निगम की ग्रामीण बस सेवा की योजना अधर में : देश की आजादी को 75 वर्ष हो गए हैं, लेकिन तमाम ऐसे गांव हैं जहां अभी भी परिवहन का कोई साधन नही हैं। परिवहन निगम ने ऐसे गावों को चिन्हित करके परिवहन सेवा मुहैय्या कराने के लिए कवायद शुरू की थी, लेकिन इन सेवित गांव (जहां परिवहन के काई साधन नहीं) के लोगों की रोडवेज बस से सफर की मंशा धरा रह गई और बसों को चलाने की योजना को पलीता लग गया। रोडवेज जिला मुख्यालय से गांवों को जोड़ने के लिए सफर की सुविधा उपलब्ध कराने के सीधी बस सेवा चलाने के लिए शासन के निर्देश पर मार्गों का खाका तैयार किया गया था। अयोध्या रीजन की ओर से ग्रामीण इलाके में 40 सीटर बसों को जिला मुख्यालय से 50 किमी के दायरे में संचालन के लिए अनुबंध सेवा के तहत आवेदन आमंत्रित किए थे, लेकिन एक भी आवेदन नहीं आए। बताया जाता है कि जहां बसों को संचालित करना था उन गांवों तक जिला मुख्यालय से अभी तक टेम्पो-टैक्सी व रोडवेज की कोई सुविधा नहीं है। किसी वाहन स्वामी द्वारा आवेदन न करने से ग्रामीण इलाके में रोडवेज बस संचालन को धक्का लग गया और डग्गामार वाहन धड़ल्ले से नियमों का उल्लघंन करके खुलेआम सड़कों पर दौड़ रहे हैं। रुदौली में बसों का संचालन ठप, यात्री हो रहे परेशान: रुदौली नगर और आसपास के गांवों की दो लाख से अधिक आबादी के लिए परिवहन निगम की एक भी बस संचालित नहीं हो रही है। नगर पालिका परिसीमन में आस-पास के 25 गांवों को भी शामिल कर दिया गया है। जिससे नगर पालिका की जनसंख्या लगभग दो लाख पहुंच गई है। रुदौली शहर व आसपास बस अड्डा तो दूर बस स्टॉप भी नहीं है। यात्रियों की माने तो रोडवेज बसों का सफर हमेशा सुरक्षित और सुहाना रहा है। प्राइवेट बस, जीप और टैक्सी के बजाय लोग अब भी रोडवेज बस में सफर करने को प्राथमिकता देते हैं। प्राइवेट वाहनों में सीट पर बैठने के बजाय रोडवेज बस में खड़ा होकर सफर करना पड़े तब भी लोग बस में ही जाना पसंद करते हैं। लगभग दो दशक पूर्व रुदौली नगर से कई रोडवेज बसों का संचालन हो रहा था, लेकिन लगातार बसों संख्या कम होती गई हालत यह है कि यहां से अब एक भी सरकारी बस का संचालन नहीं हो रहा है। यहां के लोगों का सफर करना मुश्किल हो रहा है। रुदौली से प्रतिदिन लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, कानपुर व अन्य शहरों के लिए भारी संख्या में लोग सफर तय करते हैं, लेकिन रुदौली में सरकारी बसों का कोई इंतजाम नहीं है। रूदौली से पांच किमी. दूर मिलती हैं बसें:राष्ट्रीय मार्ग पर बसों के ठहराव का स्थान तय न होने से रूदौली के यात्रियों को रोडवेज बस से सफर के लिए पांच किलोमीटर दूर हाइवे पर भेलसर से पकड़ना पड़ता है। बस से सफर के यात्रियों को सड़क पर इधर से उधर भागना पड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे बसे गांव भी अब कस्बे का रूप लेते जा रहे हैं। मार्केट भी बढ़ती जा रही है। लोगों का आवागमन भी बढ़ रहा है। यात्री सड़क किनारे खड़े होकर वाहनों का इंतजार करते हैं। कई बार तो बस आती है और यात्री बसों को रोकने का इशारा करते रहते है पर बस तेजी से बिना रुके निकल जाती है। अक्सर बसें सड़क पर सवारियों को उतारकर चली जाती हैं। कुछ यही हाल बीकापुर, मिल्कीपुर क्षेत्र मे भी है जहां बस के इंतजार मे लोग राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे रोडवेज बसों के इंतजार मे खड़े रहते हैं। लोगों के इसारे पर चालक बस रोक कर बैठा लेते हैं और कभी बिना बैठाए ही चले जाते हैं। मजबूरी में लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए निजी बसों का सहारा लेना पड़ता है। कई बार सड़क पार करने में हादसे भी हो चुके हैं। कस्बे में वाहन स्टैंड होना जरूरी : ग्रामीण इलाके के यात्रियों की मानें तो रोडवेज बसों का संचालन न होने से दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। कस्बों में कम से कम एक स्टैंड होना चाहिए, ताकि यात्री निजी वाहनों से सफर के लिए बैठकर इंतजार कर सके, लेकिन कस्बों में कहीं भी वाहन स्टैंड तक नहीं है और वाहनों के इंतजार में परेशानी होती है। बोले जिम्मेदार: अयोध्या डिपो के एआरएम आदित्य प्रकाश का इस बारे में कहना है कि परिवहन निगम की ओर से गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए परिवहन से अछूते गांवों का बस संचालन के लिए सर्वे कराया गया था। बसों को अनुबंध पर ग्रामीण क्षेत्रों में संचालन कराया जाता, लेकिन किसी बस मालिक ने आवेदन नहीं किया। अब परिवहन निगम की ओर से ग्रामीण अनुबंधन योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़कर सीधी बस सेवा संचालित करके यात्रियों को सुगम सफर की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जल्द ही अनुबंधन योजना के तहत बसों के संचालन के लिए टेण्डर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इच्छुक बस मालिक आवेदन कर सकते हैं। बस मालिक द्वारा ही ग्रामीण सेवा की बसों पर चालक और परिचालक रखे जा सकेंगे।
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