स्कूलों में कागजों में सिमटी लाइब्रेरी, वसूली जा रही फीस
Bagpat News - जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है, जबकि छात्रों से हर महीने लाइब्रेरी फीस ली जा रही है। 71 कॉलेजों में से 95% में वास्तविक लाइब्रेरी नहीं है। अभिभावकों का आरोप है कि फीस का...

जनपद के माध्यमिक विद्यालयों में लाइब्रेरी की सुविधा नदारद है। जबकि छात्रों से हर महीने लाइब्रेरी और पत्रिका प्रकाशन के नाम पर फीस वसूली जा रही है। जिले में कुल 71 माध्यमिक कॉलेज और 14 राजकीय विद्यालय मौजूद हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से 95 फीसदी कॉलेजों में लाइब्रेरी की कोई वास्तविक व्यवस्था नहीं है। छात्रों का कहना है कि उन्होंने कभी लाइब्रेरी देखी तक नहीं है, जबकि उनसे नियमित रूप से लाइब्रेरी शुल्क वसूला जाता है। इतना ही नहीं, कई कॉलेजों में पत्रिका प्रकाशन के नाम पर भी छात्रों से अलग से फीस वसूली जाती है।
अधिकतर माध्यमिक विद्यालयों में लैब-लाइब्रेरी निष्क्रिय पड़ी हुई हैं। छात्र न तो लाइब्रेरी मव पढ़ते दिखाई देते हैं और न लैब में प्रयोगात्मक कार्य करते दिखाई नहीं देते। कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जहां पर पुस्तकें तो हैं, लेकिन अव्यवस्था हावी होने के कारण उनमे दीमक लग चुकी है। देखने से ऐसा लगता है जैसे सालों से पुस्तकों को अलमारियों से बाहर ही नहीं निकाला गया है। अभिभावकों का आरोप है कि बच्चों से वसूली जाने वाली फीस का बंदरबांट किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। "हमने कभी लाइब्रेरी नहीं देखी, लेकिन हर महीने हमसे लाइब्रेरी फीस ली जाती है। जब हमने इस बारे में पूछा तो हमें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला," एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया। एक अभिभावक ने रोष व्यक्त करते हुए कहा, "यह सरासर गलत है। बच्चों से झूठे वादे करके पैसे वसूले जा रहे हैं और शिक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।" जनपद के हज़ारों छात्रों को उन लाइब्रेरी की सुविधा नहीं मिल पा रही है जो केवल कागजों पर संचालित हैं। कोट- मैं न्यायिक प्रक्रिया के चलते हाईकोर्ट में आया हुआ हूं कार्यालय पहुंचकर इस मामले पर कार्य योजना तैयार की जाएगी। छात्रों की सुविधाओं का ध्यान रखा जाएगा। -धर्मेंद्र कुमार सक्सेना, जिला विद्यालय निरीक्षक।
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