बोले बहराइच: बस स्टेशनों पर मूलभूत सुविधाओं की दरकार, यात्री हो रहे बेजार
Bahraich News - बहराइच जिले के बस स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं की कमी है। रोडवेज सेवाएं बेहतर हुई हैं, लेकिन साफ-सफाई और बैठने की व्यवस्था का अभाव है। यात्रियों को पेयजल और शौचालय की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।...

जिले में बेहतर परिवहन सेवा मिले तो बहुत मददगार साबित हो सकती हैं, लेकिन यहां परिवहन सेवाओं का हाल पूरी तरह सुविधाजनक नहीं कहा जा सकता है। जिले में रोडवेज की सेवाएं पहले से बेहतर हुई हैं, लेकिन अभी भी यात्री सुविधा को बढ़ाने की जरूरत है। इस स्टेशन परिसर में एक बार सैकड़ों यात्री यदि पहुंच जाएं तो धूप से बचने के लिए छाव मिलेगी और न ही बैठने के लिए कोई स्थान मिलेगा। प्राइवेट बस स्टेशनों की स्थिति तो और खराब है। पेयजल के लिए यात्रियों को परेशान होना पड़ता है। शौचालय तथा यात्रियों को बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इसके बाद भी जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं है। हिन्दुस्तान ने बस स्टेशनों की पड़ताल के दौरान यात्रियों से बातचीत की गई तो कहा कि यात्री सुविधा बढ़ा दी जाए, तो यात्रा सुगम हो जाएगी।
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112 बसें रोडवेज बहराइच व 50 रुपईडीहा बस स्टेशन से संचालित की जा रही हैं
300 निजी बसें शहर से गांव आती-जाती हैं
25 हजार यात्री प्रतिदिन रोडवेज व प्राइवेट बसों से सफर करते हैं
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बहराइच, संवाददाता।
जिले के बस स्टेशनों पर यात्री सुविधाओं का बड़ा अभाव है। परिवहन सेवाएं पहले से बेहतर तो जरूर हुई हैं, लेकिन शहर के रोडवेज बस स्टेशन पर यात्री सुविधाओं की बड़ी कमी है। बस स्टेशन के सामने कूड़ा-करकट लगा रहता है। साफ-सफाई का अभाव है। यात्रियों के खड़े होने जगह नहीं रहती है। बेतरतीब बसों को लगाया जा रहा है। बसों की टाइमिंग का कोई अता-पता नहीं है। किसी बस को 10 मिनट में निकाल देते हैं, तो किसी बस को आधे घंटे में लेकर चल देते हैं, जिससे बस स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्री अफरा-तफरी में रहते हैं। बस स्टेशन पर चालक मनमाने तरीके से लगाते हैं। सड़क के किनारे लगा देने व सड़क पर बैक करने से जाम लग जाता है, लेकिन जिम्मेदार इस बोर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पूछताछ काउंटर पर बैठने वाले लोगों को बलरामपुर, उतरौला, गोंडा, भिनगा, सीतापुर आदि जिलों को जाने के लिए बस कब मिलेगी कौन सी रूट पर कितनी बस चल रही है, उनकी टाइमिंग क्या है इसका कोई पता नहीं रहता है, जिससे यात्री परेशान रहते हैं। बस स्टेशन परिसर के प्रतीक्षालय में बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं। अधिक यात्री होने पर आधे खड़े रहते हैं। सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं को हो रही है। बच्चों को लेकर उन्हें फर्श पर बैठना पड़ता है। पतीक्षालय में लगे तीन पंखे खराब हो गए हैं। शीतल पेयजल नहीं मिल रहा है। शीतल पेयजल चाहिए तो 20 रुपए की बोतल खरीदना पड़ेगा। इतना ही नहीं बस स्टेशन की कैंटीन में प्रिंट रेट से अधिक मूल्य पर सभी सामान बेचे जा रहे हैं। रोडवेज डिपो में रखी पानी की टंकियां ओवरफ्लो होने से पानी बहता रहता है। वाटर हाइड्रेंट के उपकरण जर्जर व टूटे पड़े हैं। परिसर में लगा एक हैंडपंप को काफी देर तक चलाने के बाद पानी आता है। खंभों पर बिजली के तार उलझे हुए हैं। फूड स्टाल व भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। रोडवेज बसों की हालत तो ठीक है, लेकिन प्राइवेट बसों की हालत बहुत खस्ता है। प्राइवेट बस स्टेशनों पर साफ-सफाई का अभाव है।
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दो वर्ष बाद दुर्दशाग्रस्त हो गया रुपईडीहा रोडवेज डिपो
11 दिसंबर 2022 को प्रदेश के मंत्री दयाशंकर सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा रुपईडीहा का उद्घाटन किया था। अभी सवा दो वर्ष ही बीते हैं, परिसर का प्लास्टर गिरने लगा है। परिसर के बसों के निकलने पर कंकड़ उजड़ रहे हैं। बस स्टेशन के मुख्य द्वार पर बड़ा गड्ढा बन गया है, जो दुर्घटना का कारण बन रहा है। पानी टंकी की अधकांश टोटियां टूट गयी हैं। कई टोटियों से पानी नहीं आ रहा है, जिससे पेयजल की अच्छी व्यवस्था नहीं कहा जा सकता है। परिसर में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। बस स्टेशन की बड़ी टंकी नहीं भरी जाती है। नालियां चोक पड़ी हैं। यात्रियों के लिए भोजन व नाश्ते की कोई व्यवस्था नहीं है। स्टेशन परिसर में एक चाय तक नहीं मिल सकती है। इस बस स्टेशन से लखनऊ, कानपुर, हरिद्वार, शिमला, मुरादाबाद, बरेली, दिल्ली, जयपुर, वाराणसी, अयोध्या सहित भारत के कई महानगरों के लिए बसें आती व जाती हैं। प्रात: 4 बजे से ही हरिद्वार, दिल्ली, शिमला, जयपुर की बसें आना शुरू हो जाती हैं। डिपो इंचार्ज आरके तिवारी ने बताया कि यात्रियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था है। आरओ लगा हुआ है।
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नानपारा में रोडवेज बस स्टेशन न होने यात्रियों को बड़ी दिक्कत
नानपारा में रोडवेज बस स्टेशन न होने से लोगों को रोडवेज बस की सुविधा ठीक से नहीं मिल पाती है। लोगों को प्राइवेट बस का ही सहारा लेना पड़ता है। नगर के बाईपास से दो दर्जन से अधिक रोडवेज की बसें आती-जाती हैं, लेकिन इनका समय निर्धारित नहीं है कि वे कब निकलती हैं। पहले पेट्रोल पंप के पास प्राइवेट बस स्टैंड था। अब नवाबगंज मोड़ के निकट पहुंच गया है। यहां से प्रतिदिन 100 बसें आती-जाती है। नगर से काफी दूर होने के कारण यात्री परेशान होते हैं। प्राइवेट बस से उतरने के बाद कोई साधन न मिलने के कारण यात्री सामानों को लादकर पैदल अपने गंतव्य को पहुंचते हैं। प्राइवेट बस स्टैंड बैठने के कोई इंतजाम नहीं हैं। पेयजल की समस्या है। खड़े होने के लिए शेड व शौचलय की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं बस संचालक क्षमता से अधिक सवारियां बैठा लेते हैं। महिलाएं बसों में खड़े होकर सफर करती हैं। सीटें अच्छी न होने से बैठने में दिक्कत होती है। बस के शीशे टूटे-फूटे रहते हैं। जर्जर बसों में नानपारा से प्रतिदिन लगभग 5000 यात्री आते-जाते हैं। बस स्टैंड से कस्बे तक पर्याप्त लाइट की व्यवस्था नहीं है। बस स्टेशन पर फूड स्टाल है, लेकिन ठीक नहीं है। यात्रियों का कहना है कि रोडवेज स्टेशन न होने से लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है। जन प्रतिनिधियों से लगातार इसकी मांग की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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रिसिया से मात्र दो बसें वो भी खटारा
रिसिया नगर पंचायत क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि कस्बे में बस अड्डा नहीं है। दिन भर में मात्र दो बसें चल रही हैं वो भी खटारा हैं। परिवहन सेवा के नाम पर निजी ई-रिक्शा के सहारे यात्री अपने गंतव्य आ जा रहे हैं। रिसिया क्षेत्र व्यापार का हब होने के बावजूद भी यातायात की सुविधा से अछूता है। रेल विकास का पैमाना थी वो भी आमान परिवर्तन के कारण बंद है। दो सरकारी बसें चल रही हैं। एक सुबह छह बजे रिसिया से लखनऊ वाया कानपुर जाती है। दूसरी बस सुबह बहराइच से रिसिया होकर नवाबगंज तक जाती है। इसके बाद वापस सुबह नौ बजे रिसिया से बहराइच की ओर निकल जाती है। इसके बाद बस की कोई सुविधा नहीं है। यात्री बसों की संख्या बढ़ाने की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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सुझाव
1. शहर, कस्बों में ई रिक्शा किराया तय कर किराया सूची प्रमुख चौराहे पर लगे।
2. सदर विधानसभा इलाके के बहराइच कर्नेलगंज मार्ग की तरह बस स्टाप पर टिनयशेड व बेंच बनाई जाए।
3. ग्रीष्म ऋतु आने से पूर्व रोडवेज, प्राइवेट बस स्टेशनों पर पेयजल व्यवस्था को नल दुरूस्त कराए।
4. शहर के झिंगहाघाट, महसी बस स्टैंड, गोलवा घाट, नानपारा स्टैंड रोड पर खराब स्ट्रीट लाइटे दुरुस्त हों।
5. रात में बाहर से आकर गांव जाने वाली बसों पर जाने को ई रिक्शा चालक के शोषण से बचाने को अभियान चले।
6. रोडवेज व प्राईवेट बस स्टैंड पर गंतव्य की दूरी व किराया लिस्ट चस्पा हो।
7. रात में चीता मोबाइल व 112 पीआरवी टीम बस स्टैंड के पास विशेष निगाह रखे।
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शिकायत
1. लखनऊ या अन्य शहर से आकर गांव जाने पर ई रिक्शा चालक बसूलते हैं ज्यादा किराया
2. रात में किसी वजह से देर से पहुंचे यात्री का अक्सर सामान लेकर फरार हो जाते है ई रिक्शा चालक
3. प्राईवेट बस स्टैंड शहर से दूर होने पर उठानी पड़ती है दिक्कत
4. शहर स्थित रेलवे स्टेशन के दो ओर के मार्ग जर्जर, जल्द नहीं मिलती है सवारी
5. बसों में महिला सीट पर बैठे पुरुष यात्री नहीं छोड़ते हैं सीट
6. बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर उच्चक्के सक्रिय, सामान कर देते हैं पार
7. बस स्टैंड पर सफाई का रहता है अभाव
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प्रस्तुति- ध्रुव शर्मा, जयदीश श्रीवास्तव, मनीराम शर्मा, विनोद दुबे, फोटो- अनीस सिद्दीकी गुड्डू
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