अस्पतालों में लगे अग्निशमन यंत्र बने शो पीस, कैसे होगा बचाव
Balrampur News - बलरामपुर में तीन जिला अस्पतालों में अग्निशामक यंत्र खराब और खाली पाए गए हैं। अस्पताल कर्मियों को अग्निशामक चलाने का प्रशिक्षण नहीं मिला है, जिससे अग्निकांड की स्थिति में नियंत्रण पाना मुश्किल होगा।...

पड़ताल अस्पताल कर्मियों को फायर एक्सटिंग्विशर चलाने की नहीं है जानकारी, प्रशिक्षण की है जरूरत
पुरानी व जर्जर विद्युत वायरिंग से कभी भी हो सकती है अग्निकांड की घटना, संभालना होगा मुश्किल
बलरामपुर। अविनाश त्रिपाठी
जिला मुख्यालय पर स्थित तीन जिला अस्पतालों में लगे अग्निशमन यंत्र शोपीस साबित हो रहे हैं। स्थिति यह है कि इसे चलाने के लिए कर्मी प्रशिक्षित नहीं हैं। ऐसे में अगर कभी अस्पताल में अग्निकांड की घटना हो जाए तो स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल हो जाएगा। नगर का प्रमुख जिला मेमोरियल अस्पताल में लगे अधिकतर अग्निशमन यंत्र या तो खाली हैं या फिर खराब हैं। यही नहीं दो जिला अस्पतालों में फायर हाईड्रेंट, पानी की व्यवस्था ओर बालू की बाल्टियां दिखाई नहीं पड़ रही हैं।
आए दिन यह देखा जा रहा है कि अस्पतालों में शार्ट सर्किट व अन्य कारणों से अग्निकांड की घटनाएं हो जाती हैं। जिसमें भारी नुकसान होता है। सोमवार को लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में आग लग गई थी। जिसमें भारी नुकसान हुआ। इसी को लेकर हिंदुस्तान ने मंगलवार को जिला मुख्यालय पर संचालित तीन जिला अस्पतालों जिला मेमोरियल अस्पताल, जिला महिला अस्पताल व संयुक्त जिला अस्पताल में लगे अग्निशमन यंत्रों की पड़ताल की। जिसमें हकीकत चौकाने वाली थी। अग्निशमन यंत्र जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था अस्पताल में दम तोड़ती दिखाई पड़ी। यह बात सामने आई कि अस्पताल प्रशासन आग पर काबू पाए जाने वाली व्यवस्थाओं के प्रति गंभीर नहीं है। इन अस्पतालों की जर्जर और पुरानी विद्युत वायरिंग से कभी भी अग्निकांड की घटनाएं हो सकती हैं। ऐसी लचर व्यवस्था में अगर अग्निकांड की कोई घटना घटती है तो अस्पतालों में इस पर काबू पाना असंभव है। पड़ताल के दौरान जिला मेमोरियल अस्पताल में 19 फायर एक्सटिंग्विशर उपलब्ध हैं। हॉलाकि पड़ताल के दौरान अस्पताल में यह सभी लगे नहीं पाए गए। इमरजेंसी कक्ष में लगा फायर एक्सटिंग्विशर खाली था। इसमें लगा मीटर सही जानकारी नहीं दे रहा था। इसी तरह से एक्स-रे कक्ष में लगा फायर एक्सटिंग्विशर खाली होने के बाद उसे सीएमएस कार्यालय में रखा दिया गया। हॉलाकि ओपीडी वार्ड में लगे कुछ फायर एक्सटिंग्विशर यह दर्शा रहे थे कि वह भरे हुए हैं। अस्पताल की पैथॉलाजी में लगा फायर एक्सटिंग्विशर खराब था। यहां के कर्मी से जब इसके बारे में पूछा गया तो सभी ने बताया कि उन्हें इसे चलाना नहीं आता। यह खराब है या सही इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है। हॉलाकि यहां लगे सिलेंडर पर यह लिखा हुआ था कि इसकी वैद्यता अभी 2025 तक है। अस्पताल के सीएमएस डा. शारदा रंजन ने बताया कि अग्निशमन व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त कराया जाएगा। जो खाली सिलेंडर हैं उन्हें जल्द ही रिफिल करा दिया जाएगा। इस महत्वूपर्ण व्यवस्था पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। पड़ताल के दौरान जिला मेमोरियल व जिला महिला अस्पताल में आग बुझाने के लिए बालू भरी बाल्टियां कहीं दिखाई नहीं पड़ीं। जानकारों की मानें तो अग्निकांड के दौरान इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
जिला महिला अस्पताल में 22 सिलेंडर, नहीं है एनओसी
जिला महिला अस्पताल में लगे सभी फायर एक्सटिंग्विशर ठीक पाए गए। यहां कुछ समय पूर्व एनक्वास सम्पन्न हुआ था, जिसके कारण सभी सिलेंडरों को रिफिल कराया गया था, जिस कारण यहां कोई खाली सिलेंडर नहीं मिला। यहां पर हिंदुस्तान की पड़ताल में यह बात सामने आई कि प्रशिक्षण के बावजूद अग्निशमन यंत्र को चलाना यहां के कर्मी नहीं जानते। यही कारण है कि कुछ माह पूर्व यहां पर शार्ट सर्किट से लगी आग को बुझाने में अस्पताल कर्मियों के हाथ पांव फूल गए थे। हॉलाकि शार्ट सर्किट से लगी आग से अस्पताल का कोई नुकसान नहीं हुआ था। अस्पताल के लोगों ने बताया कि अगर भीषण अग्निकांड होती तो स्थिति बिगड़ सकती थी। अस्पताल की सीएमएस डा. सुमन दत्त गौतम ने बताया कि उनके यहां के सभी सिलेंडर कुछ समय पूर्व ही रिफिल कराए गए हैं। इस पर ध्यान भी दिया जाता है। जो पुराने अग्निशमन यंत्र थे, उन्हें कंडम कर दिया गया है। यहां के क्वालिटी मैनेजर वसीम अहमद ने बताया कि छह सिलेंडर सीओ-2 के हैं और 16 सिलेंडर एबीसी के हैं। आग से बचाव का अब तक दो बार पूर्वाभ्यास कराया जा चुका है।
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