बोले बलरामपुर-नगर के शहर पनाह नालों की स्थित बदहाल, जल निकासी अवरुद्ध
Balrampur News - उतरौला नगर में नालों की स्थिति खराब है, जिससे नगरवासियों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। नगर पालिका प्रशासन साल में केवल एक बार सफाई करता है, जबकि निवासियों का कहना है कि साल में तीन बार...

समस्या संक्रामक रोगों के फैलने के खतरे से सहमे नगर वासी, साल में एक बार होती है नालों की सफाई
नगर वासियों की मांग: साल में तीन बार हो नाले की सफाई तो बने बात
उतरौला, संवाददाता।
उतरौला नगर में नालों की स्थिति बदहाल है। नालों में सिल्ट जमा होने से नगरवासी परेशान हैं। सिल्ट इतनी है कि नालों का जल प्रवाह रुका है। जल जमाव के कारण जाड़े में भी मच्छर पनप रहे हैं। नगरवासी संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका से सहमे हैं। नगर पालिका प्रशासन का दावा है वर्ष में एक बार नाले की सिल्ट सफाई कराई जाती है, लेकिन नगरवासी इससे इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि वर्ष में तीन बार नाले की सफाई होनी चाहिए।
बलरामपुर जिले की सबसे पुरानी तहसील है उतरौला। इस तहसील की स्थापना आजादी के पूर्व हुई थी। इस क्षेत्र को आर्थिक रूप से काफी सक्षम माना जाता है। अधिकांश युवा खाड़ी देश में रहकर कमाई करते हैं। तहसील स्थापना के दौरान शहर पनाह नाले का निर्माण कराया गया था। लम्बा समय व्यतीत होने के कारण नाले की स्थिति बदहाल हो चली है। कुछ नए नालों का निर्माण नगर पालिका की ओर से कराया गया है। पुराने नालों में कचरा जमा होने से जल प्रवाह अवरुद्ध हो गया है। ईदगाह के निकट तालाब से तकिया तालाब तक बनाया गया नाला पूरी तरह पट गया है। इस नाले में दो मोहल्लों का पानी निकलता है। नाले में प्लास्टिक की थैलियां व अन्य सामान भरे पड़े हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से होकर चहबचवा तालाब में गिरने वाला नाला बदहाल है। नाले में सिल्ट के सिवा कुछ नहीं दिखता। नगर वासियों का कहना है कि अस्पताल के आस पास दुर्गंध फैली रहती है। नाले का कीचड़ पूरी तरह सड़ चुका है। जल जमाव के कारण मच्छरों की भरमार है। बस स्टेशन के बगल से होकर हाटन तालाब तक जाने वाला नाला अतिक्रमण की जद में है। लोगों ने नाले पर चबूतरा आदि पक्का निर्माण कर लिया है, जिससे नाला सफाई में दिक्कत आती है। नगर वासियों का कहना है कि नाले की सफाई में अतिक्रमण बाधा बन रहा है। बस स्टेशन के आस पास नाले से निकलने वाली दुर्गंध के कारण यात्रियों का बैठना मुश्किल हो जाता है।
कीचड़ के कारण नाले में समाहित है शहर का गंदा पानी
गुरुदयालडीह से होकर अधिकांश नाले राप्ती नदी में जाकर मिल जाते हैं। नालों का पानी गुरुदयालडीह में खाली पड़ी जमीन पर एकत्रित होता है। इस समय जमीन पर एक भी बूंद पानी नहीं दिख रहा है। कारण यह है कि नालों का पानी सिल्ट के कारण नदी तक नहीं पहुंच पा रहा है। शहर का जितना भी पानी निकलता है, कीचड़ की वजह से सब नाले में ही समाहित है। हॉटन रोड पर लोगों ने नाले पर पक्का निर्माण कर रखा है। नाला सफाई कराना मुश्किल काम साबित होता है। कसाई मंडी के पास नाले में जमा सिल्ट के चलते भारी दुर्गंध निकल रही है। लोग रास्ते से गुजरते समय नाक को कपड़े से ढक लेते हैं। शहर वासियों का कहना है कि इस गंभीर समस्या की ओर नगर पालिका प्रशासन को ध्यान देना होगा।
साल में तीन बार होनी चाहिए नालों की सफाई
पटेलनगर मुर्गी फार्म से गुरुदयालडीह तक नगर पालिका प्रशासन की ओर से नए नाले का निर्माण कराया गया है। यह नाला नई बस्ती से होकर गुजरता है। इसमें भी सिल्ट के कारण जल प्रवाह रुका हुआ है। शहरवासियों का कहना है कि नाले की सफाई साल में तीन बार होनी चाहिए। घरों का कचरा व गंदा पानी नाले में गिरता है, जो नदी तक नहीं पहुंच पाता। नगर में मच्छरों की भरमार है। सुभाषनगर, पटेलनगर व अन्य मोहल्लों में मच्छरों की तादात अधिक है। नगरवासियों का कहना है कि नगर में संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। हर साल मलेरिया व डेंगू के मरीज पाए जाते हैं, इस नाते से नाले की सिल्ट सफाई आवश्यक है।
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