Flood Relief Efforts Stalled in Ramnagar Saryu River Threatens 30 000 Residents जीओ बैग की कमी से सुस्त हो गई बचाव कार्य की रफ्तार, Barabanki Hindi News - Hindustan
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जीओ बैग की कमी से सुस्त हो गई बचाव कार्य की रफ्तार

Barabanki News - रामनगर में सरयू नदी की बाढ़ से हर साल लोग प्रभावित होते हैं। पिछले साल दो गांव नदी में समा गए थे। इस बार बचाव कार्यों में देरी हो रही है, जीओ बैग की कमी के कारण। कुसौरा बांध के पास ठोकरे और पिचिंग का...

Newswrap हिन्दुस्तान, बाराबंकीMon, 26 May 2025 01:07 AM
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जीओ बैग की कमी से सुस्त हो गई बचाव कार्य की रफ्तार

रामनगर। सरयू नदी की बाढ़ से हर साल बाढ़ पीड़ितों को घर छोड़ने को मजबूर होते हैं। पिछले वर्ष तो दो गांव नदी में समा गए थे, इस बार ऐसी नौबत न आए इसलिए बाढ़ से बचाव कार्य को लेकर कई परियोजनाएं चल रही हैं। रामनगर तहसील में कुसौरा बांध के पास ठोकरें और जीओ बैग स्टड तैयार करने का कार्य सुस्त पड़ा है। जीओ बैग की आपूर्ति न होने से कार्य की गति तेज नहीं हो पा रही है। 30 हजार आबादी के बचाव के कार्यों को भी नहीं मिल पा रही गति: बाढ़ व कटान के समय क्षेत्र की 30 हजार आबादी हर बार प्रभावित होती है।

इसके बचाव के लिए तहसील रामनगर के कुसौरा में चार ठोकरे व कुछ स्थान पर पिचिंग तथा केदारी पुर में नदी किनारे 16 जीओ बैग स्टड बन रहे हैं। अब तक सिर्फ 10 जीओ बैग स्टड ही तैयार हो पाए हैं। कार्य का जिम्मा आर्यन फर्म को दिया गया है। बताया जा रहा है कि जीओ बैग की आपूर्ति कंपनी से नहीं हो पा रही है। ऐसे में कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा अन्य कार्य पत्थरों की पिचिंग, ठोकर निर्माण आदि कार्य चल रहे हैं। कुसौरा बांध के किनारे नदी की धारा होने से इस बांध को कटने से बचाने के लिए कार्य चल रहा है। कार्य की निगरानी में लगे बाढ़ खण्ड विभाग के एसडीओ व जेई और एई भी ठेकेदारों से कार्य में तेज नहीं करा पा रहे हैं। सभी कार्यों का अगर समय से पूरा न किया गया तो इस बार भी करमुल्लापुर, मोहड़िया, जानकी नगर, भिटौली, भेरमपुर आदि गांवों की 20 हजार आबादी इस बार बाढ़ से फिर प्रभावित होगी। एसडीओ आयुष गर्ग, जेई योगेश, चंद्र प्रकाश, अक्षय कुमार की निगरानी भी कार्य में तेजी नहीं ला पा रही है। पिछली बार नदी में समा गए थे दो गांव: पिछले साल सरयू नदी में आई बाढ़ से केदारीपुर और बबुरी गांव को अपने आगोश में ले लिया था। इन गांवों के सैकड़ों परिवारों को दूसरे गांवों के प्राथमिक विद्यालयों में शरण लेना पड़ा था। अबकी बार वह नौबत न आए इसके लिए जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बाढ़ पीड़ितों को आवास के लिए भूमि आवंटन कराकर आवास का पैसा स्वीकृत कराया था।

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